मुंबई में पहला संदिग्ध जीबीएस केस सामने आया

मुंबई। महाराष्ट्र में शुक्रवार को संदिग्ध गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) मामलों की संख्या बढ़कर 180 हो गई। इनमें मुंबई की 64 वर्षीय महिला भी शामिल हैं, जिन्हें यह दुर्लभ तंत्रिका रोग हुआ है।

अंधेरी पूर्व की रहने वाली इस महिला को पहले बुखार और दस्त की शिकायत हुई थी, जिसके बाद उनके शरीर में धीरे-धीरे लकवा (पैरालिसिस) होने लगा। राज्य में शुक्रवार को चार नए संदिग्ध जीबीएस मामले सामने आए।

अब तक 180 मरीजों में से 146 को जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी के चलते अब तक कुल छह मौतें हुई हैं, जिनमें से एक की पुष्टि जीबीएस से हुई है, जबकि बाकी पांच संदेहास्पद हैं।

राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 180 मरीजों में से 35 पुणे नगर निगम क्षेत्र, 88 हाल ही में जोड़े गए गांवों, 25 पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम, 24 पुणे ग्रामीण और आठ अन्य जिलों से हैं।

इनमें से 79 मरीज अब तक अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं, 58 आईसीयू में भर्ती हैं और 22 वेंटिलेटर पर हैं।

महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने लोगों से घबराने के बजाय सतर्कता बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता बनाए रखें और ताजा व स्वच्छ भोजन करें।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने राज्य सरकार को जीबीएस के प्रबंधन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने को कहा है। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य, शहरी विकास और अन्य विभागों से मिलकर इस बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है।

राज्य सरकार को केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार मरीजों को मुफ्त इलाज देने को कहा गया है। आबिटकर ने बताया कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम के अस्पतालों में जीबीएस के मरीजों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, राज्य की महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के तहत भी यह इलाज कवर किया जा रहा है।

 

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