महाकुंभ से प्रस्थान के बाद काशी अगला गंतव्य, वहीं मनाएंगे शिवरात्रि और होली : महंत राम रतन गिरी

महाकुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों को सोमवार तड़के शाही स्नान के लिए निर्धारित समय प्रदान किया था। इस अवसर पर नागा संन्यासियों और साधु-संतों ने पारंपरिक साज-सज्जा के साथ स्नान किया। वे रथों, हाथियों, ऊंटों और घोड़े पर सवार होकर संगम तट पहुंचे। बसंत पंचमी के स्नान के बाद अब धीरे-धीरे अखाड़े प्रस्थान करने की तैयारी कर रहे हैं।

अखाड़ों के लौटने की भी एक परंपरा है जिसमें उनके गंतव्य भी निर्धारित हैं। इस बारे में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत राम रतन गिरी महाराज ने आईएएनएस से विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। हमारे यहां रोजाना पूजा होती है। पांच पंडित देवताओं की पूजा करते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य तीन अमृत स्नान थे जो कल पूरे हो गए हैं। अब हम प्रस्थान करेंगे।

उन्होंने जानकारी दी कि अखाड़े शुभ मुहूर्त देखकर ही जाते हैं। इस बार यह शुभ मुहूर्त 7 तारीख को निकला है। उन्होंने कहा, हम सात अखाड़े अब बनारस के लिए निकल जाएंगे। वहीं पर हमारी शिवरात्रि और होली होगी। इसके लिए हमारे अखाड़े का शुभ मुहूर्त 7 तारीख को निकला है। उस दिन यहां से हम प्रस्थान कर लेंगे। प्रस्थान से पहले कढ़ी-पकौड़ा, चावल-बूरा के सेवन को शुभ माना जाता है। हम इनका सेवन करने के बाद बनारस जाएंगे।

बनारस जाने की परंपरा पर उन्होंने कहा, हम शिव के उपासक हैं। हमारे अखाड़े काशी में स्थापित हैं। भगवान शिव भी काशी में स्थापित हैं। महाकुंभ अभी चल रहा है जिसके बाद काशी जाना है। ऐसा पावन अवसर कहां मिल पाएगा। काशी में हम शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। वहां शिवरात्रि और होली मनाने के बाद हम हरिद्वार जाएंगे। ऐसी ही परंपरा रही है।

महंत राम रतन गिरी महाराज ने बताया कि महाकुंभ में जिस तरह से नगर प्रवेश के बाद विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई थी, अब जाने से पहले भी पूजन अर्चन हवन आहुति दी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि सभी अखाड़े के संत महंत संन्यासी अपना-अपना सामान समेटने लगे हैं। अब छह साल बाद 2031 के कुंभ में फिर से अखाड़ों के साधु-संत प्रयागराज आएंगे और दोबारा यहां एकजुट होंगे।

 

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