उत्पादों को सुनिश्चित करने में विषविज्ञान एवं सुरक्षा परीक्षण की प्रासंगिकता : प्रो. आलोक धावन

आयुष उत्पादों की सुरक्षा एवं बायो-मेडिकल उपकरणों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारंभ

लखनऊ। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन फ़ोर्थ इन्टरनेशनल टॉक्सिकोलोजी कांक्लेव(आईटीसीआर 2018) का सी.एस.आई.आर.- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान लखनऊ, दक्षिण एशिया की एक प्रमुख विषविज्ञान प्रयोगशाला, में शुक्रवार, को उद्घाटन किया गया। 1965 में स्थापित, यह प्रमुख विषविज्ञान प्रयोगशाला प्रत्येक वर्ष अपने वार्षिक दिवस समारोहों के एक भाग के रूप में यह सम्मेलन आयोजित करती है। इस सम्मेलन में, अकादमिक, उद्योग जगत एवं नियामक निकाय के विशेषज्ञ विषविज्ञान में विशिष्ट क्षेत्रों आयुष उत्पादों की सुरक्षा, डायग्नोस्टिक्स एवं बायोमेडिकल डिवाइसेस, खाद्य एवं उपभोक्ता सुरक्षा, पर विचार विमर्श करके निर्णय लेगे।

सम्मेलन का पहले दिन आयुर्वेदिक दवाओं की सुरक्षा का मूल्यांकन करने और डायग्नोस्टिक्स एवं बायोमेडिकल डिवाइसेस, हर्बल उत्पाद विकास में गुणवत्ता आश्वासन हेतु मॉडल सिस्टम के व्याख्यान पर केंद्रित रहा। आयुष उत्पादों की सुरक्षा के लिए सीएसआईआर- आईआईटीआर द्वारा की गई पहल पर प्रकाश डाला गया। इसके बाद रुमैटिक हृदय रोग हेतु उन्नत नैदानिक उपकरणों एवं अन्य क्षेत्रों के सुरक्षा मूल्यांकन हेतु प्रीक्लिनिकल इमेजिंग तकनीकों पर विचार-विमर्श किया गया। प्रत्येक सत्र के अंत में पैनल चर्चा में महत्वपूर्ण कार्य बिंदुओं को हाइलाइट किया गया, जिन्हें सुरक्षित आयुष उत्पादों और बायोमेडिकल उपकरणों को सुनिश्चित करने हेतु किया जाना चाहिए।

पहले दिन में, सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ. अनिल के. त्रिपाठी, निदेशक, सीएसआईआर- केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय हेतु यह आवश्यक है कि परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों की पुरानी कार्य प्रणाली को वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्रदान करें। जबकि आयुष प्रणाली ने औषधियों के वांछित परिणाम प्राप्त किए हैं, विज्ञान के वैश्विक मानक में बढ़ोतरी से सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर व्यापक साक्ष्य मांगे जाते हैं। प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक, सी.एस.आई.आर.- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में मानव उपयोग हेतु सुरक्षित उपकरणों तथा उत्पादों को सुनिश्चित करने में विषविज्ञान एवं सुरक्षा परीक्षण की प्रासंगिकता को दोहराया। डॉ. पूनम कक्कड़, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान एवं अनुसंधान अध्यक्ष, आयोजन समिति, आईटीसी-2018 ने सभी का स्वागत किया। डॉ संघामित्रा बंदोपाध्याय एवं डॉ. देबब्रत घोष, संयोजक, आयोजन समित, आईटीसी-2018 ने क्रमशः सम्मेलन की उत्पत्ति पर प्रकाश डाला और धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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