लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पेश किया गया है। इसको लेकर राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री पटेल ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में समय पर चुनाव हों, एक साथ चुनाव हों ताकि आचार संहिता के कारण समय की और पैसे की बर्बादी न हो। अब देश को तेज गति से चलने की जरूरत है इसलिए बाकायदा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनी थी जिसने रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है और उस पर विचार विमर्श के बाद यह विधेयक सदन में आया। इसका अभिनंदन करता हूं। हम तो यही आग्रह करेंगे कि हम सब और देश एकजुट हों और वन नेशन वन इलेक्शन के लिए तैयार हो जाएं।
भाजपा की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया जा रहा है। इसके लिए तर्क भी दिए जा रहे है कि देश में एक बार चुनाव हो तो विकास कार्य अवरुद्ध नहीं होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे साल भर देश के किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते है जिससे आचार संहिता लागू रहती है और उसके चलते विकास रुकता है। वहीं कांग्रेस सहित अन्य दल इसका विरोध कर रहे है। उनका आरोप है कि इससे देश की विविधता प्रभावित होगी। देश के अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियां अलग है और इसलिए अलग अलग चुनाव कराए जाते है। विपक्षी दल वन नेशन वन इलेक्शन को देश हित में नहीं मानते।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस का अलग अलग नजरिया है। संसद में विधेयक पेश हो चुका है और आने वाले समय में तय होगा कि यह विधेयक संसद में पारित हो पाता है या नहीं।