200 से अधिक भारतीय पाकिस्तानी जेलों में बंद, संसद में गर्माया मुद्दा

पाकिस्तान में भारत के सैकड़ों मछुआरे बंद है. उन मछुआरों की अपने परिवार से कोई बातचीत नहीं हो पा रही है. संसस के शीतकालीन सत्र पर इस बारे में चर्चा हुई.

भारत के 211 भारतीय मछुआरे पाकिस्तान की जेलों में बद हैं. यह जानकारी भारत सरकार ने ससंद में दी है. इन 211 मछुआरों में से 139 तो सिर्फ गुजरात के रहने वाले हैं.

पाकिस्तान ने पत्राचार सुविधा बंद किया

कांग्रेस सासंद शक्ति सिंह गोहिल ने सदन में यह मुद्दा उठाया. उन्होंने उन मछुआरों और उनके परिवार के कल्याण के बारे में चिंता जाहिर की, जो पाकिस्तान द्वारा लागू किए संचार ब्लैकआउट से प्रभावित हैं.

गोहिल ने कहा कि यूपीए शासन में डाक पत्राचार से परिवारों को उन मछुआरों की कुशलता के बारे में जानकारी मिलती थी. अब यह प्रथा बंद हो गई है. पाकिस्तान ने संचार की यह सुविधा बंद कर दी है. चूंकि अब पीड़ित परिवार के पास अपने प्रियजनों का हाल जानने के लिए कोई माध्यम नहीं बचा, इसलिए गोहिल ने इस स्थिति को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है.

गलती से पाकिस्तानी सीमा में पहुंच जाते हैं मछुआरे

गुजरात की तटरेखा, पाकिस्तान के साथ समुद्री सीमा साझा करती है. मछुआरे अकसर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार कर लेते हैं. अनजाने में हुई गलती के बावजूद पाकिस्तान के समुद्री अधिकारी मछुआरों को पकड़ लेते हैं. दो सप्ताह पहले ही गुजरात के सात मछुआरों को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, भारतीय तटरक्षक बलों ने उन्हें सफलता पूर्वक बचा लिया. दुर्भाग्य यह है कि सभी मामले इतने आसानी से खत्म नहीं होते. इसी वजह से मछुआरों को वर्षों तक पाकिस्तानी जेलों में रहना पड़ता है.  बता दें, पाकिस्तान में कई मछुआरों ने अपनी सजा पूरी कर ली है. बावजूद इसके वे जेलों में बंद हैं और सुनवाई चल रही है.

मछुआरों की रिहाई के लिए सरकार जल्द ये कदम उठाए

गोहिल ने कहा कि मछुआरों की दुर्दशा को दूर करने के लिए तत्परता की कमी दिख रही है. गोहिल ने मांग की कि भारत सरकार को इन मामलों में तेजी लानी होगी. मछुआरों की शीघ्र रिहाई के लिए बातचीत करनी होगी, जिसके लिए स्पेशल लीगल एडवाइजर नियुक्त किया जाए. गोहिल ने मांग की कि सरकार तुरंत राजनयिक कदम उठाए, जिससे आगे कभी कोई मछुआरा पाकिस्तान में फंस जाए तो उन्हें मदद दी जा सके और जल्द उन्हें घर लाया जा सके. गोहिल ने जोर दिया कि वर्तमान स्थिति से न सिर्फ मछुआरे परेशान हैं, बल्कि उनका परिवार भी टेंशन में रहता है.

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