समाजवाद के नाम पर परिवारवाद की चाटुकारिता करने वाले लोग कभी आदर्श नहीं बन सकते: योगी

प्रयागराज, 27 नवंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने युवाओं को रिफॉर्म के प्रति सकारात्मक भाव अपनाने का आह्वान किया है, उन्होंने कहा है कि युवाओं को नए ज्ञान से अपने आप को वंचित नहीं करना चाहिए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वे दीक्षांत समारोह के मंच से युवाओं को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हर नया ज्ञान अपने आप में एक विज्ञान होता है। जब भी आप अपने आप को इससे दूर करेंगे तो आप अपने लिए एक बैरियर खड़ा करेंगे। उन्होंने कहा कि तमाम लोग नई बातों को और नए रिफॉर्म को अंगीकार नहीं कर पाते। जब कोई नयापन आता है तो लोग झंडा लेकर उसका विरोध करने निकल पड़ते हैं। वो समय गया जब नारे लगते थे कि मेरी मांगे पूरी हों, चाहे जो मजबूरी हो। देश और समाज का उत्थान इसमें कभी नहीं हो सकता। याद रखना हमारा एक-एक पल, एक-एक क्षण राष्ट्र धर्म के प्रति समर्पित होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जो लोग जाति, मत और मजहब के आधार पर छात्र शक्ति और युवा शक्ति को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, वो भारत की युवा शक्ति और युवा ऊर्जा को विभाजित करने का पाप कर रहे हैं। ऐसे लोगों को कभी भी आगे नहीं बढ़ने देना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी, बुधवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने यहां छात्र एवं छात्राओं को डिग्री प्रदान की। इससे पूर्व विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने सीएम योगी को स्मृति चिन्ह देकर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। वहीं कुलाधिपति आशीष कुमार चौहान ने दीक्षा पाने वाले छात्रों को शपथ दिलाई। सीएम योगी ने प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास को विश्वविद्यालय की ओर से डी.लिट् की मानद उपाधि भी प्रदान की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नए ज्ञान की परंपरा से अपने आप को वंचित नहीं कर सकते। समय की गति बड़ी निराली है। जो उसके साथ आगे नहीं बढ़ पाता है तो समय उसकी दुर्गति कर देता है। हमें दुर्गति का शिकार नहीं बनना है। हमें नए ज्ञान से ओतप्रोत होना होगा। पुरातन गौरव हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है विश्वविद्यालय अपने उद्बोधन में सीएम योगी ने कहा कि ये आनंद का क्षण है कि जब प्रयागराज की इस पावन धरा पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह के अवसर पर आप सबके बीच में आने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपनी प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है। समाज का ऐसा कौन सा क्षेत्र है, जहां के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने ऊर्जावान युवाओं को न तैयार किया हो। लेकिन समय की एक गति होती है और अगर हम उस गति से कदम से कदम मिलाकर चलते हैं तो समाज, देश और दुनिया हम सबका अनुसरण करती है और अगर हम उससे पीछे हैं तो हमें पिछलग्गू होने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कहीं न कहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी इसी द्वंद्व का शिकार हुआ होगा। लेकिन इस सभी विपरीत परिस्थितियों और झंझावतों के बीच भी विश्वविद्यालय ने चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए फिर से उस प्रतिष्ठा को प्राप्त करने की तड़प दिखाई है। विश्वास से कह सकता हूं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने पुरातन गौरव को हासिल करेगा, इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है। दीक्षांत उपदेश छात्र के जीवन की नूतन शुरुआत सीएम योगी ने समारोह में दीक्षांत उपदेश का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब हम दीक्षांत उपदेश की चर्चा करते हैं तो यह केवल दीक्षा का अंत नहीं है बल्कि एक नूतन शुरुआत होती है। हमारा देश भारत है, जिसका मतलब ही है ज्ञान में रत रहने वाला। उच्च शिक्षा का केंद्र कैसा होना चाहिए, प्राचीन भारत ने दुनिया को दिखाया था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक ग्रंथ के रूप में भारत की ऋषि परंपरा ने उपनिषदों की रचना की और उसी उपनिषद की पंक्तियां हमारे गुरुकुल में दीक्षांत उपदेश के रूप में अंगीकार की गईं जिसे हम तैत्तिरीय उपनिषद के रूप में बोलते हैं कि सत्यं वद, धर्मं चरः, स्वाध्यायान्मा प्रमदः सत्यान्न प्रमदितव्यम्, धर्मान्न प्रमदितव्यम्, कुशलान्न प्रमदितव्यम्। ये तैत्तिरीय उपनिषद का वह दीक्षांत उपदेश है जो हमारे गुरुकुल में आज से नहीं हजारों वर्षों से अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद एक नए जीवन में प्रवेश करने वाले छात्र को प्रदान किया जाता था। इसमें सत्य की बात भी है और धर्म की बात भी है। 5000 वर्ष पहले भगवान वेदव्यास को भी कहना पड़ा था कि मैं बाहें उठाकर लोगों को समझा रहा हूं कि धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है, इसलिए क्यों धर्म के मार्ग पर नहीं चलते। मानवता के संकट के समय भारत हमेशा रहा मददगार सीएम योगी ने कहा कि हमारे यहां धर्म की बहुत विराट परिभाषा है। अगर आप इसे भारत के संविधन के मूल में इसको देखेंगे तो यह कहता है कि कर्तव्य, सदाचार और नैतिक मूल्यों का जो प्रवाह है जिस पर व्यक्ति और समाज का जीवन टिका है, वही धर्म है। हमारे दर्शन कहते हैं कि धर्म वह नहीं है जिसको हम आज के दिन पर मान रहे हैं, धर्म वह है जो हमारे अभ्युदय यानी सांस्कारिक उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करे और जीवन के बाद मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करे। भारतीय मनीषा ने धर्म को कभी किसी संकीर्ण दायरे में नहीं रखा। हमने सबको स्वीकार किया। पूरी दुनिया की मानवता के सामने जब भी संकट आया भारत हमेशा बाहें फैलाकर करके खड़ा था कि आओ हमारे यहां शरण लो, हम तुम्हारी रक्षा करेंगे। हमने कभी अपने स्वार्थ के लिए किसी का अहित नहीं किया। ये है सनातन धर्म, ये है भारत। जिन्होंने संविधान का गला घोंटा, वही आज संविधान बचाने का ढिंढोरा पीट रहे विपक्षी दलों पर प्रहार करते हुए सीएम ने कहा कि क्या भारतीय मनीषा ने धर्म को केवल उपासना विधि माना है, नहीं। मंगलवार को भारत के संविधान का दिवस था। 26 नवंबर 1949 को भारत ने अपना संविधान अंगीकर किया था और 26 जनवरी 1950 से यह लागू हुआ। तब जो संविधान की मूल प्रति है उसमें कहीं भी पंथ निरपेक्ष और समाजवादी शब्द नहीं था। ये दो शब्द जोड़े गए तब जब देश में संसद भंग थी, न्यायपालिका के अधिकार कुंद कर दिए गए थे। इस देश के लोकतंत्र पर कुठाराघात हुआ था और जिन लोगों ने संविधान का गला घोंटने का काम किया था, वो लोग आज संविधान बचाने का ढिंढोरा पीटते जा रहे हैं। वह कह रहे हैं कि संविधान खतरे में है, लोकतंत्र खतरे में है। प्रश्न यह उठता है कि यह समाज उन लोगों का मूल्यांकन कब करेगा जो लोग स्वयं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। जिन लोगों ने संविधान पर अपनी मर्जी से न सिर्फ छेड़छाड़ का प्रयास किया, बल्कि लोकतंत्र को पूरी तरह पैरालाइज करने का प्रयास किया। ऐसे शब्द डाल दिए कि वह पंत निरपेक्ष से धर्म निरपेक्ष हो गया। युवाओं ने जब भी अंगड़ाई ली, कुछ नया जरूर हुआ है उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं ने जब भी अंगड़ाई ली है कुछ नया जरूर हुआ है। लक्ष्य तक जरूर पहुंचे हैं। उन्होंने भगवान राम, श्रीकृष्ण भगवान बुद्ध, महावीर समेत देश के तमाम क्रांतिकारियों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पंडित रामप्रसाद बिल्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई। उनसे पूछा गया कि उनकी अंतिम इच्छा क्या है। उन्होंने ये नहीं कहा कि मुझे मुक्ति मिले, उन्होंने ये नहीं कहा कि मुझे कोई रत्न मिले। एक ही बात थी मातृभूमि के लिए, गुलामी की बेड़ियों को समाप्त करने के लिए। याद करिए कि जब वीर सावरकर को आजीवन कारावास की सजा मिली, तब उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी, महाराणा प्रताप ने जब अकबर के खिलाफ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा तब उनकी उम्र महज 27 वर्ष थी। युवावस्था में ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी साम्राज्य की स्थापना की, गुरु गोविंद सिंह के चार-चार साहबजादे भारत के लिए धर्म के लिए शहीद हुए, तब उनकी उम्र 7 वर्ष, 9 वर्ष, 11 वर्ष थी। परिवारवाद की चाटुकारिता करने वाले लोग कतई आदर्श नहीं बन सकते सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को तय करना है कि उनका उनका आदर्श कौन हो। समाजवाद के नाम पर परिवारवाद की चाटुकारिता करने वाले लोग कभी आदर्श नहीं बन सकते। डॉ.राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि सच्चा समाजवादी वह है जो संपत्ति और संतति से दूर होकर कार्य कर सके, क्या यह लोग रह पा रहे हैं। क्या यही समाजवादी आंदोलन है, कहां जयप्रकाश का आदर्श चला गया, कहां आचार्य नरेद्र देव का आदर्श चला गया, कहां डॉ. राममनोहर लोहिया का आदर्श चला गया। देश के अंदर रामायण मेलों की शुरुआत तो डॉ राम मनोहर लोहिया ने की थी। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, नेताजी सुभाष चंद घोष के इस उद्घोष को कौन भारतीय जाति, मत और मजहब से ऊपर उठकर अंगीकार नहीं करता। आज हमारे युवाओं को देश के इन महापुरुषों के बारे में एक बार जरूर सोचना होगा। राजनीति में अच्छे और पढ़े लिखे युवाओं को आना चाहिए सीएम योगी ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को फिर से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में युवाओं के उत्कृष्ट टीम को नेतृत्व प्रदान करना पड़ेगा। आगे बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भी उल्लेख किया है कि राजनीति में अच्छे और पढ़े लिखे युवाओं को आगे आना चाहिए। विश्वविद्यालयों को भी यह तय करना चाहिए कि छात्र संघ की जगह क्या हम विश्वविद्यालयों में युवा संसद विभाग का गठन कर सकते हैं। यह युवा संसद जिसमें हर क्लास में यह तय होना चाहिए कि पहले ही वर्ष में कोई छात्र चुनाव लड़ने के लिए न आने पाए, लेकिन हर क्लास में पहले प्रतिनिधि चुने जाएं और फिर प्रतिनिधियों में तय किया जाए कि कौन दूसरे या तीसरे वर्ष में चुनाव लड़ेंगे। जीवन के अलग-अलग क्षेत्र में जो लोग समाज को दिशा दे सकते हैं वो लोग आगे बढ़ें। हर क्षेत्र में हो रही प्रगति, इससे खुद को दूर करना अन्याय सीएम योगी ने कहा कि आज विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है। 1990 के दशक के प्रारंभ में जब सरकारी बैंकों का कंप्यूटरीकरण हो रहा था, तब लोग आंदोलन कर रहे थे। कहा जा रहा था कि कंप्यूटर लगने से लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कंप्यूटर लगे और लोगों का जीवन आसान हुआ। अब एटीएम के कारण हम उससे भी आगे जा चुके हैं। विरोध बंद हो गया। समाज को सुविधा चाहिए, ईज ऑफ लिविंग चाहिए। आज हम ई ऑफिस तक पहुंच चुके हैं। विश्वविद्यालय में आप ई लाइब्रेरी देख रहे होंगे। आज हम चैट जीपीटी तक पहुंच गए। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आपके काम को और आसान कर रहा है। एआई और ऑटोमेशन के बाद हम क्रिप्टोकरेंसी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तरफ भी जा चुके हैं और केवल इसी क्षेत्र में नहीं,हर क्षेत्र में आज विज्ञान ने प्रगति की है। अगर हम इससे अपने आप को अलग करते हैं तो हम अपने आप से भी अन्याय कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ी को के साथ भी अन्याय कर रहे हैं। उन्होंने कहा ज्ञान और चुनौती एक दूसरे के पूरक हैं। यह अच्छे हाथों में जाएगा तो उसका सदुपयोग होगा और गलत हाथों में जाएगा तो उसका दुरुपयोग भी होगा। जब आप सत्य और धर्म के पथ पर चलते हैं तो यह आपको ज्ञानवान होने के साथ-साथ शीलवान भी बनाता है। शीलवान मनुष्य को मनुष्य बने रहने की प्ररेणा प्रदान करता है। कुम्भ पर शोध को आगे बढ़ाएं यहां के छात्र सीएम योगी ने कहा कि यहां के छात्रों से कहूंगा कि प्रयागराज कुम्भ के अलग अलग पक्ष को लेकर आपको अपने शोध को आगे बढ़ाना चाहिए। कुम्भ या माघ मेला प्रयागराज के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ तो हैं हीं, लेकिन साथ ही यहां की अर्थव्यवस्था, रोजगार, यहां के विकास पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यदि इन सब बातों को इससे जोड़कर देखेंगे तो आपके लिए एक नया अनुभव होगा। दुनिया भर के विश्वविद्यालय इस पर स्टडी करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज की त्रिवेणी हम सबको एक प्रेरणा प्रदान करती है। इस त्रिवेणी के संगम के साथ ही यहां पर विश्वविद्यालय का उत्कृष्ट माहौल है, लाखों बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां पूरे मनोयोग से पढ़कर आगे बढते हैं। कहा जाता है कि जिस भाव से यहां छात्र आता है, उसी भाव के अनुरूप उसे सफलता प्राप्त होती है। पुराने छात्रों को विश्वविद्यालय से जोड़ने की आवश्यकता सीएम योगी ने विश्वविद्यालय के पुराने छात्रों को जोड़ने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों को फिर से जोड़ने की परंपरा को हम कैसे आगे बढ़ा सकते हैं, इस पर ध्यान देना चाहिए। इससे हम लोग बहुत कुछ अर्जित कर सकते हैं। विश्वविद्यालय की भौतिक प्रगति में, एक नए माहौल को पैदा करने में, विश्वविद्यालय की गति को और आगे तेजी से आगे बढ़ाने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय लगातार सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करते हुए आगे बढ़ रहा है। मुझे विश्वास है कि जो जनता की भावना है जिसके लिए वो जाना जाता है उत्कृष्ट अकादमिक माहौल बनाने के लिए, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध के लिए, नवाचार के लिए, अलग-अलग कक्षों के लिए होने वाले विभिन्न स्टडीज के उत्कृष्टतम केंद्र के रूप में विश्वविद्यालय फिर से अपने आप को स्थापित करेगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष आशीष कुमार चौहान, कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी,महापौर गणेश केशरवानी, सांसद प्रवीण पटेल, विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह, हर्षवर्धन बाजपेई, नवनिर्वाचित विधायक दीपक पटेल, एमएलसी सुरेंद्र चौधरी, प्रख्यात कवि डॉ कुमार विश्वास समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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