महिला अधिकारियों में बहुत ईगो है: सैन्य रिपोर्ट में बताया गया- जूनियरों के साथ लेडी CO का रिलेशनशिप क्यों है टॉक्सिक; पढ़ें पूरी रिपोर्ट

सैन्य महिला कमांडिंग ऑफिसरों के कामकाज की रिव्यू रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला सीओ का व्यवाहर अपने कमांडिंग ऑफिसरों के साथ बहुत टॉक्सिक है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

महिला कमांडिंग अफसर बहुत ज्यादा शिकायत करती है. उनमें ईगो प्रॉब्लम बहुत अधिक है. भारतीय सेना की एक रिव्यू रिपोर्ट में यह बातें सामने आई है. रिपोर्ट में महिला कमांडिंग ऑफिसर्स के कामकाज का रिव्यू है. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूरी जांच के बाद यह रिव्यू रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट 26 नवंबर को मीडिया के सामने आई है.

रिपोर्ट को भारतीय सेना के 17 कॉर्प्स के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी (Lt General Rajeev Puri) ने तैयार की है. उन्होंने एक अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट ईस्टर्न कमांड के कमांडर-इन-चीफ को भेजा था. रिपोर्ट में कहा गया कि जूनियर्स के लिए महिला कमांडिंग ऑफिसर्स का व्यवहार टॉक्सिक रहता है. रिपोर्ट जब से सामने आई है, तब से आर्मी से अंदर और बाहर चर्चाएं शुरू हो गई है. रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है, आइये विस्तार से जानते हैं…

1. महिला सीओ असंवेदनशील

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला सीओ अपने अफसरों, सूबेदारों और जवानों के प्रति कम संवेदनशील हैं. अधिकतर महिलाएं अपने जूनियर से हुए मतभेद को आदेश की अव्हेलना मानती हैं. वे टीम से बात किए बिना ही सारे फैसले कर लेती हैं. वे अपने ही काम के तरीके पर हमेशा अडिग रहती हैं.

2. जूनियर्स से अच्छा व्यवहार नहीं

रिपोर्ट में कहा गया कि महिला कमांडरों का व्यवहार अपने जूनियर्स के लिए बहुत गंदा है. दोनों के बीच बहुत टॉक्सिक रिलेशनशिप हैं. उन्होंने कहा कि कई मौकों पर महिला सीओ अपने जूनियर्स को अपमानजनक तरीके से बुलाती हैं. जिससे बटालियनों का माहौल खराब हो रहा है. महिला अधिकारी अपने जूनियरों का श्रेय खा जाती हैं.

रिपोर्ट में एक घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एक महिला कमांडर ने अपने बटालियन के सूबेदार मेजर को आदेश दे रखा है कि वे जब भी आएं तो एसएस साहब ही उनकी गाड़ी का दरवाजा खोलेंगे. एसएम साहब जब तक दरवाजा नहीं खोलते हैं, महिला सीओ तब तक अपनी गाड़ी में ही बैठी रहती हैं.

3. पुरुषों की तरह ट्रेनिंग नहीं इसीलिए आ रही दिक्कत

रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि पुरुष अधिकारी कड़ी ट्रेनिंग के बाद ही सीओ के पद तक पहुंच पाते हैं. पुरुष सीओ ने कई कोर्स किए होते हैं. महिलाओं को इतने मौके नहीं मिल पाते हैं. उन्हें हाई प्रेशर का अनुभव ही नहीं होता है. उन्होंने कहा कि महिला सीओ को अपने जूनियर्स की समस्या समझ नहीं आती हैं. उन्हें उनकी स्थिति का अंदाजा ही नहीं होता है. महिला सीओ अपने जूनियरों को समझ नहीं सकती हैं.

4. महिला और पुरुषों में भेदभाव किए बिना पावर दें

जनरल पुरी ने कहा कि जेंडर इक्वालिटी की बजाए जेंडर न्यूट्रैलिटी पर जोर देना होगा. महिलाओं को समान अधिकार देने के बजाए महिला-पुरुष में भेदभाव किए बिना शक्तियां दी जानी चाहिए. उन्होंने रिपोर्ट में आगे कहा कि महिला सीओ के काम की लगातार निगरानी होनी चाहिए और उनकी लीडरशीप में आ रही कमियों का समाधान निकालना चाहिए.

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