कनाडा ने खत्म किया फास्ट ट्रैक वीजा कार्यक्रम, सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों पर पड़ेगा इसका असर, जानें क्यों?

भारत से तनाव के बीच कनाडा वीजा नियमों में तेजी से बदलाव कर रहा है. इस बीच कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चलाए जा रहे फास्ट ट्रैक स्टडी वीजा प्रोग्राम को खत्म करने का ऐलान किया है.

 भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस बीच कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चल रहे फास्ट ट्रैक स्टडी वीजा प्रोग्राम यानी स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) पर खत्म करने की घोषणा कर दी. जस्टिन ट्रुडो सरकार ने शुक्रवार को इस कार्यक्रम को खत्म करने का ऐलान किया. जिसका असर भारत समेत दुनियाभर के उन छात्रों पर पड़ेगा. इससे कनाडा में पढ़ाई कर रहे छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

भारतीय छात्रों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

बता दें कि एसडीएस यानी स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम के तहत आवेदन करने वाले छात्रों को बहुत ही कम समय में कनाडा स्टडी वीजा जारी कर देता था. हालांकि इस कार्यक्रम को खत्म करने के बाद छात्रों को स्टडी वीजा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा. जिसका सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर पड़ने वाला है. क्योंकि, कनाडा में पढ़ाई करने वाले छात्रों का भारत सबसे बड़ा सोर्स है, एक अनुमान के मुताबिक कनाडा में 4.27 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.

फास्ट्र ट्रैक वीजा को लेकर क्या बोला IRCC

इमिग्रेशन रिफ्यूजी एंड सिटीजनशिप कनाडा (IRCC) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि, ‘हम सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को स्टडी वीजा के लिए आवेदन प्रक्रिया में समान और निष्पक्ष अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कनाडा का टारगेट फास्ट ट्रैक स्टडी वीजा प्रोग्राम की अखंडता को मजबूत करना और सभी छात्रों को आवेदन प्रक्रिया में समानता देना है.’

वीजा मिलने में पहले लगते थे सिर्फ 20 दिन

स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) कार्यक्रम के तहत वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों को सिर्फ 20 दिनों में वीजा मिल जाता था. लेकिन इस कार्यक्रम के खत्म करने के बाद अब इसके लिए भारतीय स्टूडेंट्स को कम से कम 8 सप्ताह का इंतजार करना पड़ेगा. बता दें कि इस वीजा कार्यक्रम की शुरुआत साल 2018 में एलिजिबल पोस्ट-सेकेंडरी स्टूडेंट्स के लिए की गई थी.

जिससे छात्रों को जल्द वीजा मिल जाता था. इस कार्यक्रम के तहत भारत समेत दुनिया के कई देश शामिल थे. इनमें चीन, पाकिस्तान, वियतनाम, फिलीपींस, मोरक्को, कोलंबिया, ब्राजील, पेरू, एंटीगुआ, बारबुडा, कोस्टा रिका, सेनेगल, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, त्रिनिदाद और टोबैगो देश शामिल थे.

ट्रुडो ने सितंबर में ही कर दिया था ऐलान

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में ही इस बात का ऐलान कर दिया था कि वह अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कम वीजा देंगे. उन्होंने सितंबर में एक्स पर एक ट्वीट कर कहा था कि, ‘हम इस वर्ष 35 प्रतिशत कम अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट दे रहे हैं. और अगले साल, यह संख्या 10 प्रतिशत और कम हो जाएगी.’

उन्होंने पोस्ट में कहा था कि, “आव्रजन हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक फायदा है, लेकिन जब बुरे कलाकार सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं और छात्रों का फायदा उठाते हैं, तो हम उन पर कार्रवाई करते हैं.” कनाडा सरकार ने कहा कि वह अस्थायी निवासियों की संख्या कम करना चाहती है.

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