विकास कार्यों में देरी होने पर दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने वाराणसी शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए

लखनऊ : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवारको वाराणसी के भ्रमण के दौरान विकास कार्यों एवं कानून-व्यवस्था की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि दीपावली से पूर्व काशी की प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त की जाएं। उन्होंने कहा कि इस नगर के लिए दीपावली, छठ पूजा, देव दीपावली, प्रवासी भारतीय कार्यक्रम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां आएंगे। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे यहां से अच्छी यादें लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि पूरे नगर की सड़कों के किनारे लगे पोलों पर एल0ई0डी0 लड़ियां लगायी जाएं, जिससे शहर प्रकाशमय बने और भव्य लगे। उन्होंने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है। काशी के विकास के लिए उन्होंने विशेष सहयोग दिया है।

बैठक में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण, रिंग रोड, मल्टीमीडिया टर्मिनल, अस्पताल भवनों के निर्माण, विद्युतीकरण, हृदय योजना, अमृत योजना, स्मार्ट सिटी, सीवरेज परियोजनाएं, पेयजल योजनाएं, सेंट्रल कमांड कंट्रोल, लाइट एंड साउंड सिस्टम, कान्हा उपवन, वरुणा चैनेलाइजेशन, आश्रम पद्धति विद्यालय सहित विभिन्न विकास कार्यों की विस्तार से बिंदु वार समीक्षा की गयी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को चेताया कि निर्धारित समय-सीमा में कार्य नहीं होने पर अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मोती झील का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह काशी की पहचान है। इस पर अवैध कब्जा और प्लाटिंग नहीं होने पाए।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने अखिल भारतीयोपवेशनम् काशी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को समझने के लिए हमें संस्कृत भाषा समझनी होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालयों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसमें सुधार की संभावना है। इसमें सुधार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत में भारत की डी0एन0ए0 बसता है। संस्कृत विज्ञान से आगे आध्यात्म की भाषा है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि आधुनिकता के पीछे भागते-भागते हम अपनी समृद्ध परंपराओं को भूल गए हैं। जबकि हमारा ज्ञान-विज्ञान परंपरा सबसे समृद्ध है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए। इस अवसर मुख्यमंत्री ने संस्कृत भागीरथी स्मारिका का लोकार्पण भी किया।

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