दो दिवसीय इस्लामाबाद दौरे के दौरान, जयशंकर ने भले ही शहबाज शरीफ से मुलाकात की. उनसे हाथ मिलाया और मुस्कुराकर अभिवादन किया लेकिन मंच पर आते ही उन्होंने पाकिस्तान और चीन को कड़े शब्दों में लताड़ लगा दी. उन्होंने आतंकवाद और विस्तारवाद की नीति की आलोचना करते हुए दोनों देशों को नसीहत दी कि अच्छे पड़ोसी की तरह रहो.
पढ़िए, क्या बोले नवाज शरीफ
एक दिन पहले, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को पूर्व की बातें भूलकर अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. न तो भारत और न ही पाकिस्तान, अपने पड़ोसियों को बदल सकता है. इसलिए हमें अब अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए वे मध्यथ की भूमिका निभा सकते हैं.
हम 75 साल लड़े, अब नहीं लड़ना
शरीफ ने जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा को अच्छी शुरुआत बताई. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अगर सकारात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे तो बदलाव आएगा. शरीफ ने पीएम मोदी लाहौर यात्रा को भी याद किया. नवाज ने कहा कि मोदी मेरी मां से भी मुलाकात की थी, वह क्षण उनके लिए काफी बड़ा और भावुक पल था. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान ने 75 साल लड़ते हुए बिता दिए हैं. हम इसे अब आगे नहीं बढ़ने दे सकते हैं. नवाज ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैचों को दोबारा शुरू करने की वकालत की. उन्होंने कहा कि अगर दोनों टीमें भारत में किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल खेलती हैं तो वह भारत जरूर जाएंगे.
नवाज ने अटल बिहारी वाजपेयी की दिल्ली-लाहौर बस यात्रा को भी याद किया. उन्होंने कहा कि मैं जब भी उस यात्रा का वीडियो देखता हूं तो उन अच्छे पलों को महसूस करता हूं. मुझे वह क्षण बहुत पसंद है.
क्यों गिड़गिड़ा रहा है पाकिस्तान
दरअसल, पाकिस्तान में पीएमएल-एन की सरकार है. नवाज का छोटा भाई शहबाज शरीफ पाकिस्तान का प्रधानमंत्री है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था टूट चुकी है. देश पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. उनके पास मूल पैसा वापस करने की कुव्वत नहीं बची, ब्याज क्या दे पाएंगे. पाकिस्तान की 40.5 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है. पाकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि वहां नौकरियां और मंत्रालय तक बंद कर दिए, जिससे पैसे बचाए जा सकें. उन्होंने डेढ़ लाख भर्तियां भी रद्द कर दी. पाकिस्तान ने छह मंत्रालय बंद कर दिए और दो मंत्रालयों का दूसरे मंत्रालयों में विलय कर दिया है. क्योंकि सरकार के पास इन मंत्रालयों को चलाने का फंड नहीं है. पाकिस्तान के तेवर अब ढीले पड़ गए हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान अब भारत से दोस्ती के लिए गिड़गिड़ा रहा है.