महिलाओं की स्थित को दर्शाती फिल्म ”हाट द वीकली बाजार” में अभिनेत्री दिव्या दत्ता की अहम भूमिका है। यह फिल्म नारी के अस्तित्व की बात करती है और नारी को उसकी शक्ति की पहचान करवाती है। इस फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर दिव्या दत्ता ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में माना की महिलाओं को दबाया जाता है।
दिव्या दत्ता कहती हैं, ”मुझे लगता है कि, औरत को कही न कही दबाया जाता है चाहे कोई भी फील्ड हो। कोई भी मौका मिले तो औरत को परेशान किया जाता है। लेकिन इस बीच कुछ स्ट्रॉन्ग महिलाएं आगे निकलती हैं और अपनी बात सामने रखती हैं। पर कुछ नहीं निकल पाती और अपने लिए खड़ी नहीं हो पाती। मैं खुश हूं कि एेसा अभियान शुरू हुआ है जिसका लोग साथ दे रहे हैं। लोग साथ खड़े हैं। पहले एेसा नहीं हो पाता था लेकिन आज सोशल मीडिया के सपोर्ट के भी कारण इसको रिस्पॉन्स मिल रहा है। यह बात जरूर है कि हर नई चीज को सेटल होने में थोड़ा समय लगता है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना है कि, सिच्वेशन डायल्यूट न हो कि सच क्या है। इसमें समय लगेगा। धीरे-धीरे सत्य सबके सामने आ ही जाता है। क्योंकि जिम्मेदार कमेटी बिठाई गई है और लॉ भी बनाए जा रहे हैं। अब अकेले नहीं बल्कि सब साथ आ रहे हैं। यह अच्छी बात है।”
इस फिल्म को लेकर दिव्या कहती हैं कि, सीमा जी ने मुझसे गर्मी के मौसम के 50 दिन मांगे थे और जब मेरे सामने स्क्रिप्ट आई थी तो लगा कि इतनी सुंदर स्क्रिप्ट पर तो काम करना चाहिए। भाषा को लेकर मुश्किल आई और बहुत लंबे-लंबे डायलॉग्स भी थी। लेकिन आज जब अपनी ही फिल्म देखी तो लगा कि मैंने कैसे डायलॉग्स याद किए थे। लेकिन यह फिल्म कही न कही हैरान करती है महिलाओं की स्थित को लेकर। तो मुझे लगता है कि एेसी कहानी को सबके सामने लाना और किरदार को निभाना हम सबके लिए अच्छी बात है।
फिल्म ”हाट द वीकली बाजार” में दिव्या दत्ता ने संजा नामक किरदार निभाया है। पूरी फिल्म की कहानी राजस्थान के एक गांव की है जहां पर पुरानी प्रथा के चलते महिला के साथ ज्यादती की जाती है। लेकिन महिला अपने अस्तित्व को पहचान कर नारी शक्ति का प्रदर्शन करती है। फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर बोनी कपूर, जाह्नवी कपूर, दिव्या दत्ता, सीमा कपूर, जसपिंदर नरूला सहित अन्य कलाकार मौजूद थे। फिल्म का निर्देशन और लेखन सीमा कपूर ने किया है। इस फिल्म में दिव्या दत्ता, अर्चना पूरन सिंह, मीनल कपूर, मुकेश तिवारी, यशपाल शर्मा और अोरोशिखा डे की अहम भूमिकाएं हैं। इस अवसर पर मुंबई के माटूंगा स्टेशन पर काम करने वाली महिलाओं को सम्मान किया गया।