जर्मनी के हैम्बर्ग में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। जी20 देशों में प्रति व्यक्ति सबसे कम कार्बन उत्सर्जन करने के बाद भी भारत की ओर से जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त किया है।
जोशी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन में हुई वृद्धि पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा समय में हमारे पास 208 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता है, जो कि 2014 में 75 गीगावाट थी। पिछले 10 वर्षों में इसमें 175 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस अवधि के दौरान रिन्यूएबल एनर्जी से बिजली का उत्पादन बढ़कर 360 बिलियन यूनिट्स (बीयू) हो गया है, जो कि पहले 193.5 बीयू था। भारत की सोलर एनर्जी क्षमता पिछले बीते 10 वर्षों में 33 गुना बढ़ी है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 100 से अधिक देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है।
उन्होंने आगे ग्रीन शिपिंग को लेकर कहा कि इसकी वैश्विक व्यापार में समुद्री क्षेत्र में अहम भूमिका है। हम नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में टिकाऊ समुद्री परिवहन काफी जरूरी हो जाता है। भारत द्वारा भी ग्रीन शिपिंग को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें टेक्नोलॉजी और सरकारी पहल और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रीन शिपिंग का समर्थन करने के लिए भारत अपने पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दे रहा है। साथ ही हमारा लक्ष्य 2047 तक दुनिया के शीर्ष पांच शिपबिल्डिंग देशों में शामिल होना है।