उन्होंने कैप्शन में एक लंबा नोट लिखते हुए दिवंगत अभिनेता के साथ अपनी यादों के बारे में खुलकर बात की।
उन्होंने लिखा, मेरे पास देव साहब की बहुत प्यारी यादें हैं। वह मेरी दूसरी बड़ी फिल्म में अभिनेता थे। मैं बेहद घबराई हुई थी, लेकिन उन्होंंने मुझे जल्द ही सहज कर दिया और मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे कि वह मेरे दोस्त हों। उनका यह सहज रवैया बाद तक जारी रहा,जो मुझे प्रेरित करता रहा।
उन्होंने कहा, जब वे आस-पास होते थे, तो मैं कभी भी उदास महसूस नहीं करती थी। उनका मुझे हेमा कहना आज भी मेरे कानों में गूंजता है। मैं वास्तव में उन्हें एक असाधारण व्यक्ति के रूप में प्यार करती थी और आज भी उनकी गर्मजोशी भरी मौजूदगी को याद करती हूं। जन्मदिन की शुभकामनाएं देव साहब।
यह देव आनंद की 101वीं जयंती है, जिन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी ताकतों में से एक माना जाता है। पिछले साल फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने एनएफडीसी-एनएफएआई के साथ मिलकर देव आनंद 100 – फॉरएवर यंग नामक एक विशेष फिल्म महोत्सव और उनकी जन्म शताब्दी मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था।
इस महोत्सव में भारत के 30 शहरों में उनकी चार क्लासिक फिल्में दिखाई गईं, जिनमें ‘सीआईडी’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’ और ‘जॉनी मेरा नाम’ शामिल हैं। एनएफडीसी-एनएफएआई द्वारा फिल्मों को 4के रिज़ॉल्यूशन में रीस्टोर किया गया।
देव आनंद का करियर छह दशकों से ज्यादा लंबा रहा। उन्होंंने अपने करियर में 100 से ज्यादा पुरस्कार अपने नाम किए है। उन्हें चार फिल्मफेयर पुरस्कार मिले हैं, जिनमें दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए हैं। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।