भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का उनके अनंत रूप में पूजा किया जाता है. जानिए गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त.
अनंत चतुर्दशी का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इसी दिन भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है. गणेश उत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू होकर दस दिनों तक चलता है जिसमें भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ बप्पा की आराधना करते हैं. दस दिनों की पूजा-अर्चना के बाद ग्यारहवें दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन नदी, तालाब या समुद्र में किया जाता है. विसर्जन से पहले बप्पा की विशेष पूजा की जाती है जिसमें उन्हें फूल, प्रसाद, नारियल आदि अर्पित किए जाते हैं. ढोल-नगाड़ों के साथ भक्तजन धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई देते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. 2024 में यह तिथि 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी और 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन गणेश जी का विसर्जन भी होगा.
गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (शुभ): 17 सितंबर को दोपहर 3:19 से शाम 4:51 बजे तक.
सायाह्न मुहूर्त (लाभ): 17 सितंबर को शाम 7:51 से रात 9:19 बजे तक.
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): 17 सितंबर को रात 10:47 से मध्यरात्रि (18 सितंबर) 3:12 बजे तक.
अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु के अनंत रूप की विशेष आराधना करते हैं. पूजा के दौरान, भक्त अपने हाथ में एक विशेष धागा बांधते हैं, जिसे ‘अनंत सूत्र’ कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह धागा हर संकट में भक्त की रक्षा करता है. जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उस पर भगवान लक्ष्मी-नारायण की अपार कृपा बनी रहती है और उनके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती. आपको बता दें कि अनंत चतुर्दशी न केवल गणपति बप्पा को विदाई देने का पर्व है, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का अवसर भी है. यह दिन भक्तों के लिए भक्ति, आस्था और समर्पण का प्रतीक है.