नई दिल्ली: किसी भी सामान्य दिन में रात होते-होते सीबीआई मुख्यालय में सन्नाटा पसर जाता और सीआईएसएफ के चौकस कर्मी इमारत की रखवाली करते हुए दिखाई देते, लेकिन मंगलवार की रात अलग थी. सूत्रों ने बताया कि करीब रात 10 बजे इनोवा और इर्टिगा गाड़ियों से 15-16 अधिकारियों की टीम परिसर में प्रवेश करती है. इसके कुछ देर बात एक सेडान से एम नागेश्वर राव, जिन्हें सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी दी गई है, आते हैं.
यह ऐतिहासिक इसलिए है, क्योंकि इस तरह से रातोरात सीबीआई का कोई निदेशक नहीं बदला गया. ओडिशा कैडर के 1986 बैच के अधिकारी राव सीधे अपने दफ्तर गए और रात करीब साढ़े 11 बजे पदभार संभाला. सीबीआई के अन्य स्टाफ को एजेंसी में बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
आलोक वर्मा शाम 7.30 बजे निकले
आलोक वर्मा, जो तब तक निदेशक थे, सामान्य वक्त पर शाम करीब साढ़े सात बजे इमारत से निकले. इससे पहले वर्मा, दिन में नॉर्थ ब्लॉक में स्थित अपने दफ्तर गए, जब तक उनका अपने अधीनस्थ विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से टकराव अदालत पहुंच गया था. सूत्रों ने बताया कि वर्मा दोपहर तक नॉर्थ ब्लॉक के कार्यालय में रहे और इसके बाद दोपहर के भोज के लिए निकले. इस दौरान उनकी स्थानीय अदालत की कार्यवाही पर नजर थी जहां सीबीआई अपने पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार की हिरासत पाने के लिए मजबूत दलीलें रख रही थीं. कुमार को उनके एक कारोबारी से ‘उगाही’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस मामले की वह (कुमार) ही जांच कर रहे थे.
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वह दिल्ली हाई कोर्ट के घटनाक्रम की भी जानकारी ले रहे थे जहां अस्थाना अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए पहुंचे थे. इसी तरह की याचिका कुमार ने भी दायर की है.
सीवीसी की बैठक
शाम में सतर्कता भवन में, केंद्रीय सतर्कता आयोग एक अहम बैठक कर रहा था जिसमें सीबीआई के दोनों अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की किस्मत पर फैसला होना था. इन दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. सीबीआई ने 15 अक्टूबर को अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. उपलब्ध दस्तावेजों पर गौर करने के बाद सीवीसी ने सर्वसम्मति से वर्मा और अस्थाना के सभी अधिकार वापस लेने के निर्णय की सिफारिश की. सूत्रों ने बताया कि सिफारिश रात करीब आठ-साढ़े आठ बजे सरकार को भेजी गई.
सिफारिश के आधार पर, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने ‘अंतरिम उपाय’ के तौर पर सीबीआई के निदेशक का प्रभार संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंप दिया. प्रभार लेने की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, राव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन सभी फाइलों को कब्जे में ले लें जिन्हें सीवीसी ने मांगा है और सुनिश्चित करें कि किसी भी सामग्री के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए.