बता दें कि एक नहीं बल्कि कई मंत्रियों ने देश से निकलने की कोशिश की, लेकिन कुछ सफल रहे और कुछ को हिरासत में ले लिया गया. शेख हसीना की सरकार में टेलीकॉम मंत्री जुनैद अहमद भागने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया. इसके अलावा शेख हसीना के निवेश सलाहकार और सांसद सलमान एफ रहमान ने भी रविवार को देश छोड़ दिया. इस बीच, ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के मेयर और हसीना के भतीजे शेख फज्ल नूर तापोश के शनिवार को सिंगापुर की उड़ान से रवाना होने की खबर है.
सुप्रीम कोर्ट के जज हो चुके हैं फरार
शेख हसीना की सरकार में विवादास्पद सांसदों की सूची में शीर्ष पर रहे शमीम उस्मान ने भी पिछले हफ्ते देश छोड़ दिया. वहीं, शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी और ग्रामीण विकास मंत्री मोहम्मद ताजुल इस्लाम भी देश छोड़कर भाग गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, पूर्व वित्त मंत्री अबुल हसन अली और खेल मंत्री नजमुल हसन पापो भी देश छोड़ चुके हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जज मोहम्मद बदरुज्जमां भी देश छोड़कर भाग गए हैं.
आख़िर ये स्थिति कैसे बनी?
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर कई दिनों से छात्रों द्वारा उग्र प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसे शेख हसीना नजरअंदाज कर रही थीं. छात्रों की मांग थी कि मुक्ति संग्राम में विवादास्पद कोटा प्रणाली को ख़त्म किया जाए. अब यह मुक्ति संग्राम क्या है? मुक्ति संग्राम यानी पाकिस्तान से जब 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान से बांग्लादेश का निर्माण हुआ और उस काल को मुक्ति संग्राम कहा जाता है.
मुक्ति संग्राम में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरियों में 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही थी. छात्रों की मांग है कि इसे खत्म किया जाए. छात्रों की मांग पर इसे ख़त्म कर दिया गया था लेकिन हाई कोर्ट ने इसे बहाल कर दिया, जिसके बाद विरोध तेज़ हो गया. प्रदर्शन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया और इसे 30 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया. इसके बाद भी प्रदर्शनकारी नहीं रुके.