भगवान ने समय-समय पर अपनी अनोखी लीलाएं रची हैं और मानव मात्र को धर्म के मार्ग पर चलने की सीख दी है। हर युग में कोई न कोई अवतार लेकर भगवान धरती पर पाप का नाश करने जरूर उतरे हैं। ऐसे में आप सभी ये भी जानते होंगे कि कलयुग का अंत करने के लिए भी भगवान विष्णु अपने आखिरी अवतार कल्कि के रूप में इस धरती पर जन्म लेंगे।
भगवान ने समय-समय पर अपनी अनोखी लीलाएं रची हैं और मानव मात्र को धर्म के मार्ग पर चलने की सीख दी है। हर युग में कोई न कोई अवतार लेकर भगवान धरती पर पाप का नाश करने जरूर उतरे हैं। ऐसे में आप सभी ये भी जानते होंगे कि कलयुग का अंत करने के लिए भी भगवान विष्णु अपने आखिरी अवतार कल्कि के रूप में इस धरती पर जन्म लेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवताओं में प्रथम पूज्य गणेश जी भी कलयुग में अवतार लेंगे और अधर्म का नाश करेंगे। जी हां, हमारे धार्मिक ग्रंथों में ये वर्णन मिलता है कि गौरी पुत्र गणेश भी कल्कि अवतार के साथ कलयुग का अंत कर धर्म का सूर्योदय करेंगे। तो आइए जानते हैं भगवान गणेश जी के कलयुग अवतार के बारे में।
भगवान गणेश जी को देवताओं में सबसे प्रथम पूज्य की श्रेणी में रखा जाता है। विघ्नहर्ता गणेश का नाम हर शुभ कार्य से पहले लिया जाता है। माना जाता है कि जहां गणेश जी की पूजा होती है वहां कभी कोई विघ्न नहीं आता। मूषक की सवारी करने वाले गणपति बप्पा हमेशा अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र रहे हैं और उनके इसी गुण के कारण उन्हें प्रथम पूज्य का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। गणेशजी को कई विशेष नामों से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उनके कई अवतारों का भी वर्णन मिलता है।
कलयुग में गणेशजी का अवतार
चारो युगों में कलयुग को सबसे अधर्मी युग माना जाता है। कहा गया है कि कलयुग में पाप अपनी चरम सीमा पर होगा और हर ओर अधर्म का बोलबाला होगा। इसलिए कलयुग का अंत करने के लिए श्रीहरि कल्कि रूप में आएंगे और पुनः धर्म की स्थापना करेंगे। इसी के साथ गणेश पुराण में जिक्र मिलता है कि भगवान गणेश भी कलयुग में एक बार फिर अवतार लेंगे और कल्कि का साथ देंगे।
गणेशजी का धूम्रकेतु अवतार
गणेश पुराण में कहा गया है कि कलयुग में भगवान गणेश भी फिर धरती पर अवतरित होंगे। उनके इस अवतार का नाम धूम्र केतु होगा। इस रूप में वे कलयुग की बुराई का अंत करेंगे। समाज में बढ़ते पाप का नाश करने के लिए गणेशजी इस रूप में मानवता का मार्गदर्शन करेंगे। धूम्रकेतु कल्कि भगवान के साथ मिलकर कलयुग पर विजय प्राप्त करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। इस मकसद को हासिल करने के लिए 7 चिरंजीवी भी उनका साथ देंगे।