( शाश्वत तिवारी) काठमांडू। काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने बुद्ध जयंती के अवसर पर कई भव्य कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें भारत और नेपाल की साझा बौद्ध विरासत और परंपराओं की झलक देखने को मिली। भारतीय दूतावास ने लुंबिनी विकास ट्रस्ट और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के सहयोग से पिछले सप्ताह कई कार्यक्रम आयोजित किए। कार्यक्रमों की श्रृंखला लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में ‘बुद्ध धर्म और वैश्विक शांति’ पर एक अकादमिक संगोष्ठी के साथ शुरू हुई, जिसमें दोनों देशों के प्रख्यात बौद्ध विद्वानों ने भाग लिया और आधुनिक दुनिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विद्वानों ने भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय और समृद्ध बौद्ध संबंधों पर भी अपने विचार रखे।
भारतीय दूतावास के अनुसार, इस दौरान आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जिन्होंने ‘भगवान बुद्ध और उनकी शिक्षाओं’ पर आयोजित एक पेंटिंग प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इसके अलावा नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने भी समारोह में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। मुख्य आकर्षण का केंद्र सांस्कृतिक संध्या रही, जिसमें कलाकारों ने गायन और नृत्य के माध्यम से दोनों देशों के बीच सदियों से चली आ रही साझा संस्कृति को प्रदर्शित किया। इससे पहले लुम्बिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आयोजित हीनयान और महायान परंपराओं के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा पारंपरिक मंत्रोच्चार भी हुए।
भारतीय राजदूत श्रीवास्तव ने रेखांकित किया कि भारत और नेपाल की साझा बौद्ध विरासत और विरासत एक ऐसा बंधन है, जो सदियों से दोनों देशों के लोगों को जोड़े हुए है। वहीं पीएम दहल ने जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भारतीय दूतावास और सभी कलाकारों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों में संस्कृति का एक विशेष स्थान है और ऐसे आयोजन दोनों देशों के बीच दोस्ती और सद्भाव के बंधन को मजबूत करते हैं।