नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। बिम्सटेक चार्टर के लागू होने से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ेगा और यह कदम सदस्य देशों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह चार्टर सभी सदस्य देशों को एक साथ काम करने के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचा प्रदान करता है, जिससे सदस्यों के बीच समन्वय और बेहतर होगा। बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) चार्टर समूह की पहली बार कल्पना किए जाने के 27 साल बाद हाल ही में 20 मई को लागू हुआ है। बिम्सटेक में भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। बता दें कि भारत द्वारा बीते वर्षों में बिम्सटेक को क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक मंच बनाने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं।
इस संबंध में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा कि बिम्सटेक चार्टर का लागू होना एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और टिकाऊ पड़ोसी के तौर पर भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक भारत की नेबरहुड फर्स्ट (पड़ोसी प्रथम) और एक्ट ईस्ट नीतियों को दर्शाता है। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चार्टर के लागू होने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि इससे बिम्सटेक द्वारा अन्य देशों के साथ साझेदारी को बढ़ाया जाएगा। साथ ही समूह में नए सदस्यों को स्वीकार करने में भी मदद मिलेगी। दरअसल बिम्सटेक के सभी सदस्यों ने 30 मार्च 2022 को कोलंबो में वर्चुअली आयोजित पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे, मगर यह तभी लागू हो सका, जब प्रत्येक देश ने दस्तावेज़ की पुष्टि की, जो प्रक्रिया अंततः अप्रैल 2024 में जाकर पूरी हुई।
बिम्सटेक देशों में दुनिया की कुल आबादी का 22 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है और इनका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग 3.6 ट्रिलियन डॉलर है। चार्टर बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात देशों के बीच बेहतर सहयोग के लिए एक ठोस कानूनी एवं संस्थागत ढांचा स्थापित करेगा।