नेपाल । पिछले 14 महीने में यह तीसरी बार है जब प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड को संसद में अपना बहुमत साबित करना पड़ा है। बार-बार गठबन्धन दलों में परिवर्तन के कारण प्रधानमंत्री को संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक बहुमत लेना पड़ता है।
पुराने सत्ता गठबन्धन को तोड़कर नए गठबन्धन बनाने वाले प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने आज संसद के प्रतिनिधि सभा में विश्वास का प्रस्ताव पेश किया है। पिछले 14 महीने में यह तीसरी बार है जब प्रचण्ड संसद में विश्वास का मत ले रहे हैं। देश में आमचुनाव में नेपाली कांग्रेस के साथ गठबन्धन कर 32 सीटों के साथ तीसरी पार्टी बने माओवादी ने सरकार बनाने के लिए चुनाव पूर्व के कांग्रेस गठबन्धन को तोड़ कर एमाले के समर्थन में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय पहली बार विश्वास का मत लिया था। हालांकि यह गठबन्धन एक महीने ही टिक पाया और प्रचण्ड ने एमाले के साथ बने गठबन्धन को तोड़कर फिर से नेपाली कांग्रेस के साथ गबन्धन बना लिया।
पहली बार विश्वास मत लेने पर प्रधानमंत्री प्रचण्ड को पूरे सदन का समर्थन मिला था। लेकिन दूसरी बार एमाले सहित कुछ दलों ने उनके विरोध में मतदान किया था। आज जब तीसरी बार प्रधानमंत्री प्रचण्ड विश्वास का मत ले रहे हैं तो उनके समर्थन में माओवादी के अलावा सिर्फ चार दलों का समर्थन है। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में नए गठबन्धन के समर्थन में 155 सांसदों का समर्थन मिलने की उम्मीद की जा रही है। एमाले के 76, माओवादी के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21, जनता समाजवादी पार्टी के 12 और एकीकृत समाजवादी पार्टी के 10 सांसद सहित कुछ स्वतंत्र सांसदों ने समर्थन देने की घोषणा की है।
प्रचण्ड द्वारा बार-बार गठबन्धन बदल कर राजनीतिक अस्थिरता लाने के आरोप में नेपाली कांग्रेस के 88, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनमत पार्टी के 6, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के 4, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 4 सहित नेपाल मजदूर किसान पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा, आम जनता पार्टी के एक-एक सांसदों ने सरकार के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया है।
संसद में विश्वास का मत देने का प्रस्ताव रखते हुए प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने स्थिर सरकार और कांग्रेस के रवैये के कारण गठबन्धन तोड़ने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गठबन्धन बदलने के लिए उन्हें मजबूर किया गया।
प्रधानमंत्री के इस आरोप पर नेपाली कांग्रस के प्रमुख सचेतक रमेश लेखक ने प्रचण्ड पर अस्थिर चरित्र और राजनीतिक बेइमानी का आरोप लगाते