प्रणय विक्रम सिंह : एक ऐसी अफसानवी शख्सियत, जिनके मुख्तलिफ अंदाज और दिलेरी के अफसाने आज आम आदमी की महफिलों में बयां होते हैं। जिनकी जांबाजी के किस्से समाचार माध्यमों और हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन गए हैं।
जिनके शांत चहरे को देखकर माफियाओं और अपराधियों की शांति छिन जाती है।
जी हां, आप सही समझ रहे हैं, हम बात कर रहे हैं UP STF के मुखिया और उत्तर प्रदेश के ADG, कानून व्यवस्था अमिताभ यश की…
उनका शुमार उत्तर प्रदेश के उन चुनिंदा पुलिस अधिकारियों में किया जाता है, जिन्होंने पदक, पोस्टिंग और प्रमोशन के मकड़जाल से दूर रहते हुए पुलिसिंग को नए आयाम दिए।
चाहे बीहड़ के पथरीले रास्ते हों या महानगरों के राजमार्ग अमिताभ यश ने सभी को ठीक से कानून व्यवस्था का पाठ पढ़ाया।
UP STF के चीफ़ रहते हुए एडीजी कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण दायित्व का अतिरिक्त प्रभार मिलना बताता है कि वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
वैसे ये गठजोड़ बड़ा ही नैसर्गिक है। अपराधियों के प्रति योगी जी की जीरो टॉलरेंस नीति है तो अमिताभ यश भी अपराधियों के लिए बेहद कठोर और निर्मम माने जाते हैं।
जो माफिया सरगना प्रदेश में कभी अपनी समानांतर सरकार चलाया करते थे, आज वो खुद को सलाखों के पीछे ही महफूज समझ रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय अमिताभ यश को जाता है।
विचार करने योग्य है कि जो माफिया सरगना साल 2017 के पहले तक समाज में दहशत का पर्याय थे, आज वो खुद खौफजदा हैं। बकायदा, लिखित में गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें अमिताभ यश से खतरा है।
अपराधी जिनसे भयभीत हों, जिसकी रणनीति से संगठित अपराध की चूलें हिल गई हों, उस जीवट अधिकारी पर योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री का विश्वास होना बेहद लाज़मी है।
ढाई दशक के उनके करियर में ऐसे कई वाकिए हुए जब अपराधियों पर सख्ती के चलते अमिताभ यश का तबादला हुआ, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी शैली में बदलाव नहीं किया।
दशकों तक आतंक का पर्याय रहे ददुआ, ठोकिया और निर्भय गुर्जर जैसे दुर्दांत डकैतों को उनके अंजाम तक पहुंचाने वाले अमिताभ यश का उत्तर प्रदेश को ‘दस्यु मुक्त क्षेत्र’ बनाने में अविस्मरणीय योगदान है।
यहां एक बात का ज़िक्र बहुत मौजूं है कि जहां एक तरफ अनेक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपराधियों के विरुद्ध ऑपरेशन के दौरान सामान्यतः पीछे रहते हैं, वहीं इसके बरक्स यूपी पुलिस के ‘एंग्री यंग मैन’ अमिताभ यश को ऑपरेशन को लीड करने का शौक है।
उनकी यही अदा उन्हें दूसरों से जुदा करती है।
अपने सेवाकाल की आधी अवधि एसटीएफ में रहकर उन्होंने करीब चार दर्जन से ज्यादा अपराधियों को मार गिराया। इसके अलावा 150 से अधिक एनकाउंटर्स में पुलिस टीमों को लीड और गाइड और किया।
पुलिसिंग को एक सम्पूर्ण विधा, मुकम्मल फलसफा मानने वाले अमिताभ आधुनिक तकनीक में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि तकनीक, ताकत और तजुर्बे के कुशल और संतुलित समन्वय से बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस के इस तपते सूरज पर राहु-केतुओं ने ग्रहण लगाने की कोशिश की लेकिन सत्य के सूर्य की चमक को भला साजिशों की अमावस्या कब रोक पाई है? अमिताभ हर बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरे।
राष्ट्रपति के दो गैलंट्री अवॉर्ड समेत अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों और पदकों से गौरवभूषित अमिताभ कहते हैं कि उनके खाते में दर्ज सभी सफलताएं उत्कृष्ट टीम वर्क का परिणाम हैं। ‘मेरी सभी उपलब्धियां मेरे वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और कनिष्ठ साथियों के प्रतिबद्ध सहयोग का प्रतिफल हैं।’
पुलिसिंग की बेहद उम्दा समझ रखने वाले अमिताभ छोटी से छोटी बारीकियों पर भी भरपूर तवज्जों देते हैं। लगभग ढाई दशकों के लंबे और समृद्ध अनुभव के आधार पर वे कहते हैं कि पुलिस बल के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ‘मोटीवेशन’ सबसे जरूरी चीज है। एक अच्छा टीम लीडर वही है जो अपनी टीम के सदस्यों को लक्ष्य के प्रति मोटिवेट रखे।
वे कहते हैं कि पुलिसिंग की सम्पूर्ण विधा ही मोटीवेशन पर आधारित है। उनके अनुसार मोटिवेशन किसी प्रबंधकीय शब्दकोश का शब्द मात्र न होकर पूरा एक दर्शन है।
एक सामान्य क्षमता और योग्यता का व्यक्ति भी मोटीवेशन के कारण असाधारण स्तर का कार्य कर लेता है। अगर पूरी टीम ही मोटिवेटेड हो तो आप परिणाम की उत्कृष्टता की कल्पना कर सकते हैं।
कोई उन्हें यूपी पुलिस का सिंघम कहता है तो कोई एंग्री यंग मैन बोलता है, कोई सुपर कॉप पुकारता है तो कोई दबंग…लेकिन अपराधी उन्हें अपने काल के नाम से जानते और पहचानते हैं।
अमिताभ कानून व्यवस्था के आकाश के वो नक्षत्र हैं जिनकी आभा अमिट है। उनके चमकते रहने का मतलब है, अपराधियों के जिंदगी में मुसलसल अंधेरा और प्रदेश में सरबुलंद कानून का इकबाल…
निश्चित ही वो अपनी नई और अतिरिक्त जिम्मेदारी पर भी हमेशा की तरह खरे उतरेंगे क्योंकि…
हर जगह उसके जलवों से रोशन होगी
सूरज के पास उजाला कभी कम नहीं होता