हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में छिड़ी वर्चस्व की जंग काफी हद तक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में चल रही लड़ाई की तरह है। दोनों पार्टियों में चाचा और भतीजों के बीच बनी महाभारत जैसी स्थिति में दूसरे पिस रहे हैं। इनेलो में चाचा अभय चौटाला और भतीजा दुष्यंत चौटाला के बीच विवाद उत्तर प्रदेश के मुलायम परिवार में हुए शिवपाल यादव और अखिलेश यादव से काफी हद तक मिलता-जुलता है। पूरे प्रकरण में परिवार को दाेबारा एकजुट करने में इनेलो सुप्रीमो आेमप्रकाश चौटाला की भूमिका आगे अहम हो सकती है।
पार्टी पर वर्चस्व को लेकर अभय और दुष्यंत-दिग्विजय की लड़ाई अखिलेश और शिवपाल जैसी
वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच शुरू विवाद राष्ट्रीय सुर्खियां बना। आज भी सपा इससे बाहर नहीं निकल सकी है। वर्चस्व की उसी जंग का दूसरा रूप इन दिनों हरियाणा में देखा जा रहा है। सिर्फ राजनीतिक दल, समय और इस पूरी जंग के चरित्रों के चेहरे बदले हैं।
शिवपाल और अखिलेश की तनातनी में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पहले अपने भाई के साथ खड़े हुए, फिर बेटे के साथ। वहां इस परिवार के बीच झगड़े का मास्टर माइंड अमर सिंह को माना गया। हरियाणा में अभी इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला अपने छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला यानी चाचा के साथ खड़े हैं। इनेलो में भी झगड़े का मास्टरमाइंड अब कुछ लोगों के सामने आ गया है। आर्थिक रूप से संपन्नता में भी यह मास्टर माइंड अमर सिंह जैसी बड़ी हैसियत रखता है।
यदि इनेलो में वर्चस्व की इस लड़ाई को डॉ. अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के बीच देखें तो यह पूरा प्रकरण बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्रों तेजप्रताप सिंह और तेजस्वी के बीच सत्ता संघर्ष से भी मेल खाता है।
दूसरे दल देख रहे फायदे
इनेलो की कलह में भाजपा व कांग्रेस को अपने-अपने फायदे दिख रहे हैं। कांग्रेस के नेता तो कह रहे हैं कि इनेलो का यूपी में सपा की तरह बिखर जाने से सीधे रूप में कांग्रेस को फायदा होगा। वहीं, भाजपा नेता मान रहे हैं कि इनेलो का समझदार कार्यकर्ता कभी कांग्रेस को अपना समर्थन नहीं देगा। वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा का सहयोग करेगा।