आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर , शनिवार को रात 10 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 15 अक्टूबर रविवार को देर रात 11 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि अनुसार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरू होगे। इसी दिन कलश स्थापना किया भी किया जाएगा I मां इस साल दुर्गा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर हाथी की सवारी के साथ आएंगी। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा पृथ्वी लोक में वास करती हैं। वार के अनुसार जिस दिन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि लगी होती है उसी के अनुसार मां की सवारी का निर्धारण होता है। रविवार के दिन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पड़ने के कारण मां की सवारी हाथी होगी। हाथी को सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मां दुर्गा पृथ्वी लोक के लिए सुख-समृद्धि और खुशहाली के लेकर आएंगी।
घटस्थापना और देवी पूजा प्रात: काल करने का विधान हैं। इसमें चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग को वर्जित माना जाता है। पंचांग के अनुसार, 15 अक्टूबर रविवार को चित्रा नक्षत्र का शाम में 6 बजकर 12 मिनट तक हैं और वैधृति योग सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। विशेष परिस्थितियों में जब चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग और चित्रा नक्षत्र के दो चरण व्यतीत हो चुके हैं तो घटस्थापना की जा सकती है।
15 अक्टूबर को प्रात: काल में चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दो दो चरण संपूर्ण हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में घटस्थापना प्रातः: काल भी कर सकते हैं। कलश स्थापना का श्रेष्ठ समय अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जा सकती है। 15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 29 मिनट से लेकर 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घटस्थापना कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को महागौरी की पूजा करके कन्या पूजन किया जायेगा. महानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को है. इस दिन माॅ सिद्धिदातीॅ की पूजा करके कन्या पूजन और हवन किया जायेगा.