जीटीबी अस्पताल में दिल्लीवासियों को इलाज में प्रथामिकता देने वाले सर्कुलर को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. शुक्रवार (12 अक्टूबर) को इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राजधानी के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए किसी भी मरीज के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है.
दिल्ली सरकार के सर्कुलर को कोर्ट ने किया खारिज
दिल्ली सरकार द्वारा जारी सर्कुलर को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जीटीबी अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सभी मरीजों के साथ एक जैसा ही व्यवहार किया जाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के सर्कुलर को भेदभावपूर्ण वाला बताया. कोर्ट में सर्कुलर को चुनौती देते हुए कहा गया था कि दिल्ली सरकार के सर्कुलर की वजह से दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को अस्पताल में इलाज नहीं मिल पा रहा है.
अशोक अग्रवाल ने दी थी सरकार के सर्कुलर को चुनौती
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट में जीटीबी अस्पताल में दिल्ली के मरीजों को प्रथामिकता देने वाले सर्कुलर को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने जीटीबी अस्पताल में बाहरी मरीजों के इलाज पर रोक लगाने वाले दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सर्कुलर को हाइकोर्ट में ये कहकर चुनौती दी थी कि सरकार का आदेश आम लोगों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कोर्ट से कहा गया था कि 70 फीसदी गरीब मरीज ही इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में जाते हैं.
याचिका में कहा गया था दिल्ली सरकार को अपने इस फैसले को वापस लेना चाहिए. अशोक अग्रवाल ने कोर्ट से ये भी कहा था कि अगर सरकारी अस्पताल गरीबों को इलाज नहीं देंगे तो वे कहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 यानि जीने का अधिकार के तहत हर व्यक्ति को देश के किसी भी राज्य में आने-जाने और सुविधाएं लेने का अधिकार है. इसके अलावा अनुच्छेद 14 यानी समान अधिकार के तहत भी इस तरह का सरकार का सर्कुलर असंवैधानिक है.
दिल्ली सरकार ने कोर्ट में रखा था अपना पक्ष
उधर, दिल्ली सरकार कहा था कि दिल्ली के बाहर के मरीजों के सरकारी अस्पताल में आने से संख्या ज्यादा होती है और इसको लेकर अक्सर डॉक्टरों से मारपीट होती है. हमें केंद्र सरकार भी पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं दे रही है. लिहाजा सभी मरीजों को मुफ्त इलाज देना संभव नहीं है.