नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा अभिनेता नाना पाटेकर पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान कथित तौर पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाने के बाद देशभर में कई महिलाएं मी-टू अभियान के तहत अपने साथ हुए यौन शोषण की आपबीती खुलकर साझा कर रही हैं। धीरे-धीरे मी-टू की इस आग ने जैसे-जैसे कई नामचीन लोगों को अपनी जद में लेना शुरू किया, वैसे-वैसे इस मुद्दे पर लोगों के अलग-अलग विचार भी सामने आने लगे हैं। इन विचारों में लोगों के भ्रम भी निकलकर सामने आने लगे हैं कि आखिर महिलाओं की सहमति व असहमति के बीच क्या फर्क है और उसे कैसे समझें? इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर अंतर स्पष्ट करने के लिए नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त मधुर वर्मा ने ट्विटर के माध्यम से पोस्ट डालकर लोगों को बताने का बड़ा ही सकारात्मक प्रयास किया है।
डीसीपी मधुर वर्मा ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि मी-टू अभियान को गुजरे जमाने की बात बताने के लिए किसी को भी दूसरे किसी की सहमति का आदर करने की जरूरत है और यह स्पष्ट समझना जरूरी है कि ‘ना’ का मतलब ‘ना’ होता है। सकारात्मकता दर्शाने वाली ‘हां’ ही सहमति होती है। उन्होंने नोट के जरिए बताया कि हां शब्द, जिसमें उत्सुकता हो, सकारात्मकता हो, वहीं सहमति दर्शता है। ऐसी कुछ हरकतें होती हैं, जिसमें सामने वाले से उसकी सहमति जरूरी है। जैसे किसी को गले लगाने से पहले, किसी का कुछ सामान उधार लेने से पहले, किसी को छूने से पहले, चुंबन लेने से पहले या अन्य कुछ साझा करने से पहले सामने वाले की सहमति जरूरी है।