भिक्षावृत्ति के माध्यम से विषमताओं पर किया कुठाराघात

नाटक ‘भिखारी’ का भव्य मंचन, आल्हा और नौटंकी पुट ने सोचने पर मजबूर किया

लखनऊ। स्थानीय रायउमानाथ बली प्रेक्षागृह में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार-नई दिल्ली की कल्चर फंक्शन ग्रान्ट ‘सीएमजीएस’ के अन्तर्गत वरिष्ठ रंगकर्मी जितेन्द्र कुमार मित्तल ने नाटक ’भिखारी’ प्रस्तुत किया। भिखारी नाटक जहाँ भिक्षावृत्ति जैसे समाजिक रोग की भर्तस्ना करता है वहीं पर हास्य व्यंग के तेवर में इसकी समस्त विसँगतियों को उजागर करता है। यह नाटक भारत रत्न महामना मदन् मोहन मालवीय के कृतित्व से अनुप्रेरित है। जितेन्द्र कुमार मित्तल के लिखे और निर्देशित ’भिखारी’ नाटक में आल्हा और नौटंकी गायन के समावेश करके स्वरूप देने को प्रयास किया । नाटककार जितेंद्र मित्तल ने देश की ज्वलन्त समस्याओं में भिक्षावृत्ति पर सबका ध्यान आकर्षित किया । वर्तमान परिदृश्य में भिक्षावृत्ति एक सामाजिक और कानूनी अपराध के रूप में अपनी जड़ें जमा चुकी है। ऐसे भिखारियां की संख्या बहुत कम है जो पूर्ण रूप से असहाय हो जाने पर भीख माँगने को विवश होते हैं। नाटक ’भिखारी’ इस समस्या क े सभी आयामों पर एक विहंगम दृष्टि डालता है। हर आयाम की पृष्ठभूमि की पड़ताल करत े हुए इसके उन्मूलन हेतु जन जागरण की पहल करता है।इसके साथ नाटककार प्राचीन काल के उदाहरणों को दर्शकों के सामने रखता है जब लोगों ने समाज, राष्ट्रं और मानवता के उत्थान के लिए तथा परोपकर मे ं अपना योगदान देने हेतु भिक्षार्जन को एक संसाधन बनाया।

निर्देशक ने नाटक का स्वरूप लोकधर्मी रखा जिसमें हास्य व्यंग्य तेेवर से विसंगतियों को उजागर करने का प्रयास किया गया। नवोदित कलाकारों ने कार्यशाला में परिश्रम और मनोयोग से सीखने का प्रयास किया हैं अनुभवहीनता के बावजूद सभी ने उल्लेखनीय कार्य किया है। वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया के निर्देशन में चली पचास दिवसीय गहन नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला में तैयार होने के बाद मंचित हुआ। नौटंकी विशेषज्ञ आतमजीत सिंह और आल्हा विशेषज्ञ रामरथ पाण्डेय ने प्रशिक्षार्थियों को अपनी विद्या की गहन जानकारी दी।

पीयूष वर्मा और अभिषेक तिवारी ने आंगिक और वाचिक पक्ष में गहन प्रशिक्षण दिया। जितेन्द्र कुमार मित्तल द्वारा परिकल्पित-लिखित इस नाटक को आधार बनाकर ललित सिंह पोखरिया ने अभिनय पक्ष पर विशेष प्रशिक्षण दिया। प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन उ0प्र0 संगीत नाटक सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ रंगकर्मी मो0हफीज़ ने किया । वेशभूषा अभिकल्पना के लिए रोज़ी दूबे और मुख सज्जा के लिए शहीर अहमद बधाई के पात्र हैं। मंच अभिकल्पना एवं निर्माण आशुतोष विश्वकर्मा द्वारा किया गया। सूत्रधार के रूप मे सुमित गुप्ता, कल की भूमिका में रजत पाल और आज की भुमिका में मोहित गुप्ता प्रभावित करते हैं। भारत रत्न मदन् मोहन मालवीय की भूमिका को आदित्य ग्रिटोरिया ने जीवन्त कर दिया। महिला कलाकारों में आयुशी गुप्ता, अंजली शुक्ला एवं मनीषा गुप्ता प्रभावित करती हैं। अंकुर सक्सेना उस्ताद की भूमिका में और अयान यादव (बच्चा) सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। कुल मिलाकर नाटक भिखारी लखनऊ रंगमंच की नयी उपलब्धियों के रूप में सामने आया।

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