नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि आज की वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भी हर क्षेत्र में भारत-आसियान सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है। यह हमारे संबंधों की ताकत और रेसिलियंस का प्रमाण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत आसियान शिखर सम्मेलन (जकार्ता) में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि भारत और आसियान का सहयोग चौथे दशक में प्रवेश कर गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि प्रधानमंत्री ने आसियान सहयोगी देशों के नेताओं से विस्तृत विचार-विमर्श किया। इसका उद्देश्य भारत आसियान संबंधों को मजबूती प्रदान करना और सहयोग को भविष्य में किस तरह से आगे बढ़ाया जाए इस पर विचार करना रहा। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के केंद्र में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। ऐसे में आवश्यक है कि कोविड के बाद की दुनिया का निर्माण नियमों पर आधारित हो और मानव कल्याण के लिए सबका प्रयास हो। मुक्त एवं खुले हिंद प्रशांत की प्रगति में और वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करने में हम सबके साझा हित हैं। उन्हें विश्वास है कि हमारी बातचीत से भारत और आसियान क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए नए संकल्प लिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और आसियान को इतिहास और भूगोल आपस में जोड़ते हैं। साथ ही मूल्य और क्षेत्रीय एकता, शांति, समृद्धि और बहुपक्षीय विश्व में साझा विश्वास भी हमें आपस में जोड़ता है।