कोर्ट सख्त, कहा- अवैध निर्माण करने वालों को क्यों 48 घंटे पहले नोटिस दिया जाए
नई दिल्ली : दिल्ली में सीलिंग के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जिन्होंने अवैध निर्माण किया है उन्हें आखिर क्यों 48 घंटे पहले नोटिस दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी नोटिस के दिल्ली में सीलिंग किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 27 हजार से ज्यादा अवैध और प्रदूषण फैलाने वाले फैक्ट्रियों को बंद किया जाए। पिछले 7 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा गठित एसटीएफ को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि लगता है कि इन पर दबाव है खासकर व्यापारियों का। कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि दिल्ली से मुंबई नहीं, बल्कि कन्याकुमारी तक की दूरी का अवैध कब्जा है।
पिछले 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रिहायशी इलाकों में उद्योगों को चलाने पर गहरी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने 2004 के उसके आदेश में हुई लापरवाही पर रिपोर्ट तलब किया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने केंद्र सरकार डीडीए और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि आप लोगों को अवैध निर्माणों को नियमित करने का आशा दिलाकर उनकी जिंदगी से खेल रहे हैं। लगता है कि आपने कमला मिल हादसा से कोई सबक नहीं लिया है। सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी रंजीत कुमार ने जब कोर्ट को बताया था कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम 28 अगस्त से संशोधित मास्टर प्लान लागू करने जा रही है| तब कोर्ट ने कहा कि डीडीए और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वकील कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। उन्हें कोर्ट के आदेश की चिंता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बुराड़ी, विश्वासनगर और कड़कड़डूमा मेट्रो स्टेशनों के पास डीडीए की अतिक्रमण की गई भूमि को खाली करा लिया गया है।