भारत ने उस परियोजना का उद्घाटन कर दिया, जिससे पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसिबत खड़ी हो जाएगी. पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 330 मेगावॉट क्षमता वाली किशनगंगा विद्युत परियोजना का उद्घाटन किया. साथ ही पीएम मोदी ने किश्तवार जिले में 1,000 मेगावॉट की पाकल दुल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी. ये दोनों परियोजनाएं सामरिक दृष्टि महत्वपूर्ण हैं.
इन दोनों योजनाओं को केंद्र सरकार की पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है. जम्मू कश्मीर में किश्तवार जिले में चेनाब नदी की सहायक मारूसदर नदी पर प्रस्तावित 1,000 मेगावाट क्षमता की पाकल दुल पनबिजली परियोजना से राज्य को 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तावित पनबिजली परियोजना के निर्माण के लिये आधारशिला रखी. परियोजना 66 महीने में पूरी होगी
वहीं बिजली मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि पाकुल दुल परियोजना के लिये सभी प्रकार की मंजूरी हासिल कर ली गयी है. इससे सालाना 333.02 करोड़ यूनिट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है. परियोजना पर कुल लागत 8,112.12 करोड़ रुपये अनुमानित है. यह न केवल राज्य की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना है बल्कि पहली स्टोरेज इकाई भी है.
इससे निर्माण चरण में 3,000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. वहीं परिचालन चरण में 500 लोगों को रोजगार मिलेगा. मंत्रालय के अनुसार जम्मू कश्मीर सरकार को परियोजना के चालू होने के बाद 10 साल तक 12 प्रतिशत बिजली मुफ्त मिलेगी. जम्मू कश्मीर के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने 330 मेगावाट क्षमता की किशनगंगा पनबिजली परियोजना का भी उद्घाटन किया. इस परियोजना से राज्य को 13 प्रतिशत मुफ्त बिजली मिलेगी. परियोजना झेलम नदी की सहायक किशनगंगा नदी पर स्थित है. इस मौके पर केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह भी मौजूद थे.
पाक पर कूटनीतिक जीत
लओसी से कुछ दूरी पर स्थित भारत की महत्वाकांक्षी किशनगंगा जलविद्युत परियोजना की कुल 330 मेगावाट क्षमता की तीनों ईकाईयों को मार्च २०१८ से प्रारम्भ करना भारत की न सिर्फ तकनीकी बल्कि कूटनीतिक जीत भी है.
भारत ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी थी, तब से ही पाकिस्तान ने इसका सिन्धु जल संधि 1960 के उल्लंघन का आरोप लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया था. वर्ष 2010 में हेग, नीदरलैंड स्थित स्थायी मध्यथता न्यायालय में इसके विरोध में अपील दायर की थी. 20 दिसम्बर 2013 को न्यायालय ने पाकिस्तान के आरोपों को बेबुनियाद मानते हुए भारत परियोजना के अन्तर्गत कार्य चालू रखने की अनुमति दे दी थी.