जनता-योगी सरकार के सशक सेतु शिशिर
सच के प्रकाश का जितना महत्व है झूठ की आग को रोकना उससे अधिक महत्वपूर्ण है। खबर का चोला पहन कर कुप्रचार और दुष्प्रचार का दानव एक खुशहाल समाज को तबाह करने के लिए काफी है। इसलिए आज के युग की सूचना क्रांति वरदान भी है और अभिशाप भी है। यही कारण है कि कानून व्यवस्था भी आज कुशल सूचनातंत्र पर निर्भर है। कभी गुंडाराज के लिए बदनाम आज उत्तर प्रदेश की उत्तम कानून व्यवस्था देश के लिए नज़ीर बनी है। इस उपलब्धि में यहां के कुशल सूचनातंत्र को भी श्रेय जाता है। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचा कर गुड गवर्नेंस की सच्चाई बयां करने के साथ यूपी के सूचना विभाग ने गृह विभाग का भी काम आसान किया है।
आइंदा भविष्य अपने वर्तमान को संवारने के लिए जो सवाल करेगा उन सवालों के जवाब ही शायद भविष्य को जनहित की सरकार चालाने की गाइड लाइन दे सकेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में आखिर कौन सी सबसे बड़ी ऐसी ख़ूबी रही कि वो देश के अत्यंत लोकप्रिय नेता बन गए। उनके शासन में ऐसा क्या था कि क़रीब चार दशक का रिकार्ड तोड़कर यूपी की जनता ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया। क्यों योगी सरकार के मॉडल को देश के अन्य राज्य फॉलो करने का प्रयास करने में लग गए। क्या ऐसी वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योगी आदित्यनाथ की गवर्नेंस पर गर्व करने लगे। कोई तो कारण होगा जो देश की जनता योगी-योगी जपने लगी। गुजरात हो या कोई दूसरा सूबा जहां-जहां योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किया वहां-वहां भाजपा को एतिहासिक विजय प्राप्त हुई।
ऐसे सवालों के जवाब की यानी मुख्यमंत्री योगी के जनकल्याणकारी सरकार की उपलब्धियों की लम्बी फेहरिस्त है। जिसमें अहम है कानून व्यवस्था। योगी आदित्यनाथ जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था थी। आम जनता, व्यापार, विकास, पर्यटन और निवेश के लिए सबसे बड़ी बाधा गुंडे-माफियाओं से निपटने के लिए योगी सरकार के सख्त फैसले ही काफी थे लेकिन चोर रास्ते से कानून व्यवस्था को चुनौती देने की साजिशों को धराशाई करना वाकई मुश्किल था। सीएए-एन आर सी के विरोध के नाम पर दिल्ली और देश के कई राज्यों में हिंसा फैलाने की साजिश में अराजक तत्वों का सबसे बड़ा लक्ष्य उत्तर प्रदेश था। योगी सरकार की कुशल कानून व्यवस्था ने ऐसी साजिश को धराशाई कर दिया। अग्निवीर योजना का विरोध हो या किसान आंदोलन हो, धर्म के नाम पर पत्थरबाजी हो या साम्प्रदायिक दंगों की सुनियोजित साजिशें हों, हर चुनौती पर योगी सरकार खरी उतरी। अपराध, अपराधियों,भूमाफियाओं, गुंडे-माफियाओं के हौसलों को योगी सरकार के सख्त फैसलों का बुल्डोजर ध्वस्त करता रहा। बहुचर्चित और बहु प्रतीक्षित राममंदिर के फैसले पर भी अमन-शांति रही और परिंदा पर नहीं मार सका। ऐसे जटिल मौक़ों पर बेलगाम सोशल मीडिया के इस दौर में सच को सामने रखकर झूठ और अफवाहों पर काबू करना काफी मुश्किल था। सच और झूठ की लड़ाई में सच का साथ देने वाला योगी का सूचनातंत्र सशक्त ना होता तो विरोधियों की सुनियोजित साजिशों से यूपी की कानून व्यवस्था को संभालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। इसी तरह कोविड के कठिन दौर में भी यूपी का सूचनातंत्र मजबूती से काम ना कर पाता तो इतनी बड़ी आबादी वाले यूपी के कोविड प्रबंधन की तारीफ में दुनिया में डंके नहीं बजते।
सिर्फ क़ानून व्यवस्था के ही नहीं रोजगार,पर्यटन, व्यापार, निवेश, खेती-किसानी,स्वास्थ्य, शिक्षा सौहार्द,अमन,शांति-सुरक्षा और जनकल्याण के विकास के हर प्रयास के पंख होती है सूचना। इसलिए यदि यूपी के विकास का पंख यहां का सूचनातंत्र है तो इन पंखों की ताक़त और हौसलों का नाम है शिशिर। जिन्होने प्रदेश के सामने खड़ी हर चुनौती का सूचना के हथियार से मुकाबला किया है। अफवाहों और झूठ से मुकाबला करते सच को आगे बढ़ाने की दक्षता में निपुण शिशिर का योगदान यूपी की हर उपलब्धि में शामिल है। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और जनता के बीच मजबूत सेतु सूचना निदेशक करीब चार वर्ष से अधिक समय से अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। कोविड प्रबंधन हो, राम मंदिर फैसला या किसी भी नाजुक समय पर कानून व्यवस्था को संभालने में सही सूचनाओं का प्रसार हमेशा मददगार रहा। हिन्दी संस्थान और संस्कृति के साथ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक की जिम्मेदारी निभाने वाले शिशिर जी का आज जन्म दिन हैं। उन्हें बधाई-शुभकामनाएं