- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के डिजिटलीकरण का दिखने लगा असर
- ऑनलाइन वरासत प्रक्रिया से समय से निस्तारित हो रहे मामले
- 30 लाख से ज्यादा आवेदन पत्रों का निस्तारण
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान संभालते ही विभागों के डिजिटलीकरण पर खासा फोकस किया था ताकि लोगों को पारदर्शी तरीके से योजनाओं का लाभ समेत अन्य सुविधाएं मिल सकें। इसका असर भी दिखने लगा है। इसी कड़ी में राजस्व परिषद के तहत वरासत संबंधी प्रक्रिया के पूरी तरह से ऑनलाइन होने से लोगों को काफी सहूलियत मिल रही है। प्रक्रिया के ऑनलाइन होने से 37,91,958 आवेदन मिले, जिसमें से 31,78,950 आवेदनों को निस्तारित किया जा चुका है।
पंचायत भवनों को किया जा रहा है डिजिटल
योगी सरकार ने वरासत की प्रक्रिया को 2018 से ऑनलाइन करने का निर्णय लिया था। अब इस प्रक्रिया को लगभग पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद को वरासत के कुल 37,91,958 आवेदन मिले, जिनके निस्तारण के लिए 37,66,460 आवेदन लेखपाल के जरिए राजस्व निरीक्षक को भेजे गये। राजस्व परिषद ने कुल 31,78,950 अविवादित आवेदन पत्र पर आदेश पारित किए हैं। इसके अलावा गांवों में पंचायत भवनों को डिजिटल किया जा रहा है। इससे गांव के लोग एक क्लिक पर अपने गांव में हुए विकास की जानकारी हासिल कर सकेंगे। साथ ही विकास कार्यों में पारदर्शिता भी आएगी।
हर माह होती है ऑनलाइन वरासत की समीक्षा
दरअसल, परिषद की ओर से हर माह की 15 और 30 तारीख को ऑनलाइन वरासत के आवेदनों की विशेष समीक्षा की जाती है। अगर किसी जिले में इन तारीखों को लेखपाल स्तर पर या राजस्व निरीक्षक स्तर पर 10 से अधिक निर्विवाद वरासत के मामले समय सीमा के बाद लंबित पाए जाते हैं तो संबंधित जिले के अपर जिलाधिकारी मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए अगले माह की 3 तारीख को कारण सहित परिषद में स्वयं उपस्थित होते है। परिषद द्वारा अगर किसी महीने में तहसील स्तर पर 100 से अधिक वरासत के आवेदन प्राप्त होते हैं तो संबंधित उपजिलाधिकारी व तहसीलदार की ओर से अभियान चलाकर समय अनुसार निस्तारण कर दिया जाता है। इसके अलावा परिषद की ओर से मंडलायुक्त व डीएम को निर्देश दिया गया है कि वरासत दर्ज किए जाने के संबंध विषय को मासिक समीक्षा बैठक में शामिल कर समयानुसार निस्तारण किया जाए।