- बड़ी संख्या में मक्के का मिनीकिट देने की भी तैयारी
- –सेंटर ऑफ एक्सिलेंस उपलब्ध कराएंगे गोभी, टमाटर, मिर्च की अगैती पौध
- -10 हजार अतिरिक्त सोलर पंप भी मुहैया कराए जाएंगे
लखनऊ, 25 अगस्त। योगी सरकार मानसून पर लगातार नजर रख रही है। पिछले दिनों मौजूदा मौसम, इस मौसम की बोई गई खरीफ की फसलों पर असर और रबी की संभावनाओं को केंद्र में रखते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में हुई समीक्षा बैठक में कई निर्देश दिये थे। अब इन निर्देशों को अमलीजामा पहनाने का काम कृषि विभाग ने शुरू कर दिया है। सरकार का हर संभव प्रयास यह है कि खरीफ एवं रबी के बीच कृषि क्षेत्र और स्थानीय बाजार की मांग के अनुसार एक अतिरिक्त फसल लेकर किसानों को मौसम से हुई क्षति को न्यूनतम किया जा सके। इस क्रम में सरकार ने त्वरित राहत देने के लिए किसानों को तोरिया और मक्का बीज के मिनीकिट मुहैया कराने का फैसला लिया है। साथ ही कृषि एवं उद्यान विभाग के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस किसानों को गोभी, टमाटर, मिर्च आदि सीजनल सब्जियों की बेहतर प्रजाति की अगैती पौध भी उपलब्ध कराएंगे।
मालूम हो कि सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में नियंत्रित तापमान एवं नमी में नर्सरी तैयार की जाती है। लिहाजा पौधे निरोग होते हैं। किसान नर्सरी डालने के खर्च और उसके जोखिम से बच जाते हैं। गुणवत्ता की गारंटी अलग से होती है। ऐसे में सरकार की ये पहल अगैती सब्जी की खेती करने वालों के लिए काफी मुफीद होगी। पौध उपलब्ध कराने के अलावा सरकार किसानों को सब्जी बीज के किट भी उपलब्ध कराएगी। सिंचन क्षमता के विस्तार के लिए किसानों को अनुदान पर 10 हजार अतिरिक्त सोलर पंप भी मुहैया कराएगी सरकार।
मुख्यमंत्री की बैठक के बाद कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी विभागीय अधिकारियों की बैठक में इस बाबत जरूरी निर्देश दे चुके हैं। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार फिलहाल दो लाख किसानों को तोरिया बीज के मिनीकिट बाटने का निर्णय लिया गया है। इसी क्रम में मक्के की खेती के लिए भी पर्याप्त मात्रा में 8 किलोग्राम के मिनीकिट की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने और 10 हजार अतिरिक्त सोलर पंपों के लिए किसानों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि रबी की बोआई समय से शुरू हो सके। इसके लिए कृषि निवेशों खाद-बीज और पानी की दिक्कत न आये। पर्याप्त मात्रा में खाद के भंडारण, बीजों की उपलब्धता के भी निर्देश विभागीय मंत्री की ओर से दिए जा चुके हैं।
इसके पहले की बैठक में मुख्यमंत्री यह निर्देश दे चुके
हैं कि ट्यूबवेल की तकनीकी खराबी को हर हाल में 24 से 36 घंटे के भीतर ठीक करा दिया जाए। जहां ट्यूबवेल पर निर्भरता ज्यादा है, वहां बिजली पर निर्भरता कम करने के लिए सौर पैनल लगाया जाना चाहिए। यही नहीं उनकी ओर से बकाये में बिजली न काटने का भी निर्देश दे चुके हैं।