शौर्य और पराक्रम के बिना शांति और सौहार्द संभव नहीं: मुख्यमंत्री योगी

  • दुनिया का नेतृत्वकर्ता होगा शताब्दी वर्ष का भारत, हर व्यक्ति को करना होगा योगदान: सीएम योगी
  • राना बेनीमाधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती पर सीएम योगी ने किया कृतज्ञता भाव समर्पण
  • पूर्ण स्वाधीनता के 90 वर्ष पूर्व अवध को आजादी का अहसास कराने वाले नायक थे अवध केसरी: सीएम

रायबरेली: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि शांति और सौहार्द बिना शौर्य और पराक्रम संभव नहीं है। उन्होंने कहा है कि आज जबकि हमने आजादी के शताब्दी वर्ष के भारत को समृद्ध और सशक्त देश के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है तो यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह सकारात्मक सोच के साथ अपनी क्षमता और प्रतिभा का देशहित में योगदान करे। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय जिस तरह पूरा देश एकजुट होकर सामने आया था, एक बार फिर उसी एकजुटता की जरूरत है।

मुख्यमंत्री योगी, बुधवार को 1857 की लड़ाई के अमर नायक राना बेनीमाधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती पर रायबरेली में आयोजित भाव समर्पण कार्यक्रम में जनता को संबोधित कर रहे थे। ‘अवध केसरी’ के नाम से विख्यात  राना बेनीमाधव बख्श सिंह की वीरता और शौर्य को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राना बेनीमाधव जी ने देश को पूर्ण आजादी मिलने से 90 वर्ष पहले ही पूरे अवध को आजादी का अहसास करा दिया था। चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक एकजुटता का महत्व बताते हुए सीएम ने कहा कि 1857 से पहले भी स्वतन्त्रता की लड़ाई चल रही थी। महाराणा प्रताप, वीर शिवानी गुरु गोबिंद सिंह जैसे महापुरुषों ने  भी विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध युद्ध किया, लेकिन 1857 में यह लड़ाई संगठित होकर आगे बढ़ी। चित्तू पांडेय, मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे, जैसे नायकों ने अलग-अलग क्षेत्रों से एकजुट होकर स्वाधीनता आंदोलन की निर्णायक लड़ाई को शुरू किया। अवध में वीरा पासी जी और राना बेनीमाधव जी ने ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध स्वाधीनता की जो अलख जगाई थी, वह जनांदोलन का रूप लेते हुए आगे जाकर 1922 में चौरीचौरा आंदोलन, 1925 में काकोरी एक्शन होते हुए 1947 में स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करती है। मुख्यमंत्री योगी ने जयंती समारोह में उपस्थित जनसमुदाय को आजादी के अमृत काल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘पंचप्रण’ से जुड़ने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि 2047 का भारत गरीबी, अराजकता, विषमता और अव्यवस्था से मुक्त होकर विकसित भारत के रूप में विश्व को नेतृत्व प्रदान करने वाला होगा। यह भारत मानवता को राह दिखाने वाला होगा।

स्वतंत्रता समर के गुमनाम नायकों की तलाश के लिए शोध पर ध्यान दें शिक्षण संस्थान: सीएम

आजादी के गुमनाम नायकों को सम्मान दिलाने की अपनी मुहिम से आमजन को जोड़ते हुए मुख्यमंत्री ने शिक्षण संस्थानों को इस विषय पर व्यापक शोध-अध्ययन करने की जरूरत बताई। रायबरेली के फिरोज गांधी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमें अपनी लोककथाओं, लोकगीतों की ओर लौटना होगा, हमारे नायकों की स्मृतियां अब भी उनमें जीवित हैं। कुछ दिनों पूर्व महाराष्ट्र के एक संत द्वारा उन्हें उपलब्ध कराए गए पांडुलिपियों से गोरक्षपीठ की 16वीं से 19वीं सदी कि मध्य के सिद्ध संतों की परंपरा की जानकारी मिलने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने शिक्षण संस्थानों को पांडुलिपियों, ताम्रपत्रों के संग्रह और अध्ययन के लिए प्रेरित भी किया।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com