(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)। हर वर्ष 09 अगस्त को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इसे पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में प्राथमिक बैठक के दिन घोषित किया गया था। 1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी दल की आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारी पार्टी की पहली बैठक की गयी थी। इस वर्ष विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय ‘पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका’ है।
जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास करने के लिए सरकार चला रही वन धन योजना।
विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट कर आदिवासी भाई बहनो को बधाई दी है, उन्होंने लिखा है कि विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर सभी आदिवासी बहनों और भाइयों को बधाई। आइए उन आदिवासियों का जश्न मनाएं जो भारत के सांस्कृतिक मोज़ेक का एक आंतरिक हिस्सा हैं और पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति के प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गौरतलब है कि विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं वहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी मामलों के मंत्री Ben Franklin Nats से मुलाकात की थी। मुलाकात में कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय समुदाय और द्विपक्षीय जुड़ाव सहित आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की गयी थी।
केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट कर आदिवासी भाई बहनो को दी बधाई।
जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास करने के लिए वन धन योजना 14 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्तर पर नोडल विभाग के रूप में और राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में शुरू की गई. केंद्र सरकार इस योजना के तहत देश के जनजातीय क्षेत्रों में 50,000 ‘वन धन विकास केंद्र’ स्थापित करेगी, ताकि वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके।
संस्कृति मंत्रालय ने बीते 02 अगस्त को नई दिल्ली में तिरंगा उत्सव समारोह के दौरान 20 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की कथाओं पर आधारित तीसरी कॉमिक बुक जारी की थी। इस कथा संग्रह में उन बहादुर पुरुष एवं महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की कथाएं हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ संघर्ष के लिए अपने जनजातीय साथियों को प्रेरणा दी और अपने जीवन का बलिदान किया।