ऊर्जा, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर, संचार क्षेत्र में श्रीलंका को हरसंभव सहायता देगा भारत

नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। भीषण आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे श्रीलंका पर भारत सरकार बराबर नज़र बनाए हुए है। इस बीच, नई दिल्ली कोलंबो को अपनी सहायता बढ़ाने, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और दोनों पड़ोसियों के बीच पारंपरिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रहा है।

डिप्टी एनएसए की अध्यक्षता में विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों की बैठक के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची द्वारा ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा गया है, श्रीलंका हमारी नीति “पड़ोसी प्रथम” में केंद्रीय स्थान पर है। इसलिए भारत ने उसे आर्थिक संकट से निपटने के लिए इस वर्ष 3।8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी। भारत श्रीलंका का सबसे करीबी पड़ोसी है और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं। हम उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिनका श्रीलंका और उसके लोग सामना कर रहे हैं, और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं क्योंकि उन्होंने इस कठिन दौर से उबरने की कोशिश की है।

श्रीलंका को इस महासंकट से निकालने के लिए भारत सरकार ऊर्जा, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर, संचार के क्षेत्र में श्रीलंका को भरपूर मदद देगी। इस मसले पर पिछली एक जुलाई को भारत के डेप्‍युटी एनएसए विक्रम मिस्री की अध्‍यक्षता में हुई बैठक में श्रीलंका के साथ भारत के आर्थिक संपर्क को बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। बैठक में भारत के प्राथमिकता वाले प्रॉजेक्‍ट को पूरा करना, व्‍यापार और संपर्क को बढ़ाना शामिल है। इन परियोजनाओं में श्रीलंका के पूर्वोत्‍तर इलाके में स्थित त्रिंकोमाली बंदरगाह का विकास, बिजली परियोजनाएं, भारत और श्रीलंका के बीच विमानों की उड़ान बढ़ाना, फेरी सर्विस को बहाल करना शामिल है।

भारत लगातार श्रीलंका को पटरी पर वापस लाने के प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में उसने 24 घंटे पहले ही क्रेडिट लाइन के तहत 44,000 मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति श्रीलंका को की है। यह प्रयास नई दिल्ली द्वारा श्रीलंका में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश के किसानों का समर्थन करने के लिए किया गया है।

आपको बता दें कि पिछले महीने भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, अन्य उच्च-स्तरीय भारतीय अधिकारियों के साथ श्रीलंका को दी गई वित्तीय सहायता की समीक्षा करने के लिए कोलंबो गए थे। इस दौरान उन्होंने श्रीलंका को आश्वस्त किया था कि भारत निवेश, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए अपना समर्थन जारी रखेगा।

श्रीलंका और विभिन्न भारतीय मंत्रालयों के बीच विकास परियोजनाओं एवं अन्य आर्थिक मदद के लिए विदेश मंत्रालय इस वक़्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जैसे-जैसे श्रीलंका के हालात में सुधार होंगे, यह चर्चाएँ कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढेंगी। “पड़ोसी पहले” नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता उसकी विदेश नीति के केंद्र में बनी हुई है, जैसा कि श्रीलंका के मामले में लगातार देखा जा सकता है।

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