नवेद शिकोह। एक सौ एक उपलब्धियों की चर्चाओं का शगुन सौ दिन की योगी सरकार के लिए बेशकीमती तोहफा रहा। पूर्वांचल में इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारी और मुख्तार जैसे माफियाओं को काबू करना, दंगाइयों और कोरोना जैसी खतरनाक लहर पर क़ाबू, पांच साल सौ दिन की योगी सरकारों की ख़ास उपलब्धियों में शामिल हैं। नागरिकों की सुरक्षा,गो हत्या रुकना, फ्री राशन और किसानों को सहायता भी योगी सरकार पर विश्वास के मजबूत कारण हैं।
ऐसी चर्चाएं यूपी के सुनहरे भविष्य की आशाओं को भी बढ़ा रही हैं। उत्तर प्रदेश की आम जनता हो, तमाम प्रतिष्ठित, विश्वसनीय, निष्पक्ष और जाने-माने लेखक या पत्रकार, चिकित्सक या पूर्व डीजीपी हों, हर किसी ने तर्क, तथ्य, साक्ष्य और आंकड़ों के साथ इस बात की तस्दीक की है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक डाक्टर की तरह सूबे की पुरानी बीमारियों का इलाज करने में निरंतर सफल हो रहे हैं।
तरह-तरह की पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाकर यूपी अब बीमारू राज्य नहीं रहा। यहां रोजगार, उद्योग, व्यापार विकसित हो रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में हम आगे बढ़ रहे हैं। अतीत में जाइए तो बदहाली का मुख्य कारण खराब कानून व्यवस्था थी। जातिवादी राजनीति के मकड़जाल में न सिर्फ यहां की जनता का हर सपना बिखर रहा था बल्कि जातिवाद को बढ़ावा देने वाले स्वार्थी राजनीतिक दलों ने सनातनियों को जातियों में बांट कर उनमें फूट डाल दी थी। हिंन्दुओं में एकता नहीं थी, जाति के आधार पर सबको बिखरा दिया गया था।
उत्तर प्रदेश को यूं ही नहीं बीमारू राज्य कहा जाता था, यहां तमाम बीमारियों का साम्राज्य हुआ करता था और मौत की शहंशाहत चलती थी। माफियाओं, दंगाइयों, अपराधियों और गुंडे-बदमाशों की गुंडई, माफियागी और दंगों के होते निवेश, व्यापार और उद्योग धंधों की तिल-तिल मौत होती थी। पूर्वांचल में चार दशक से बेकाबू इंसेफेलाइटिस के मौत के तांडव पर योगी सरकार ने अंकुश लगाया है।
सुनील कुमार राय लिखते हैं कि 1978 में पहचाने गए इन्सेफेलाइटिस को देश ने तब जाना जब पहली बार सांसद चुने जाने पर योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा में इससे होने वाली मौतों पर सवाल उठाया। पूर्वांचल के 38 जिलों को इस बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे। अंततः 2017 में इस बीमारी के विरुद्ध सफलता तब मिलना शुरू हुई जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। और आज अब इन्सेफेलाइटिस पर 95 प्रतिशत काबू पाया जा चुका है।
यही नहीं तमाम बेकाबू बीमारियों से मौत की झड़ी लगी रहती थी। अंदाज़ा लगाइए यदि उस दौर में कोरोना जैसी महामारी का कहर आता तो क्या होता ?
एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा लिखते है़- मार्च 2020 में भारत में जब कोरोना की पहली लहर शुरू हुई तो विश्व के तमाम लोगों का अनुमान ताकि उत्तर प्रदेश बुरी तरह प्रभावित होगा। परंतु योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूरदर्शी सोच और त्वरित फैसलों की बदौलत जिस तरह कोरोना को काबू में किया, उसने तमाम वैश्विक एजेंसियों को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व की सराहना करने के लिए विवश कर दिया। योगी आदित्यनाथ ने आपात स्थिति में न केवल महामारी से लोगों को बचाने के अथक लड़ाई लड़ीं बल्कि पूरे प्रदेश में फंसे उत्तर प्रदेश वासियों की भी चिंता की उन्हें घर वापस आने और भ्रमण-पोषण की व्यवस्था की। बताते चलें कि 16 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना टीकों के दोनों डोज लग चुके हैं। विशेष संचारी रोग नियंत्रण/दस्तक अभियान के तहत एईएस-जेई वायरस के खिलाफ अभियान ने बड़ी सफलता पाई है।
पहले आप यूपी में भुखमरी और घास की रोटी खाने की मजबूरी के क़िस्से सुनते होंगे। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद भी अब भूख का भय समाप्त हुआ। प्रदेश की करीब पंद्रह करोड़ जनता को फ्री राशन मिलना जारी है।
यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह लिखते हैं कि जनता को डराने वाले अब डरने लगे हैं। कभी उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों की तूती बोलती थी। पुलिस इनपर हाथ रखने में डरती थी। लेकिन योगी शासन में काया पलट गई है। माफियाओं और अपराधियों पर ही नहीं इनका सहयोग करने वालों पर भी शिकंजा कसा गया। अवैध इमारतें ध्वस्त कर भूमाफियाओं और शातिर अपराधियों की अकड़ और हौसलों को ध्वस्त किया गया।
1381अभियोग गैंगस्टर एक्ट में चिन्हित हुए जिसमें 45,294 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। 18अरब 48करोड़ 52 लाख रुपए से अधिक चल-अचल अवैध संपत्ति पर शिकंजा कसा गया। 2019 की एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध अपराध पर सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम। 1535 थानों पर महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई।
यूपी के एक और पूर्व डीजीपी अरविंद के.जैन का भी यही ख्याल है कि उत्तर प्रदेश की जनता को योगी सरकार ने बेहतर कानून व्यवस्था का सबसे बड़ा तोहफा दिया है। वो लिखते हैं- उत्तर प्रदेश में पुलिस-प्रशासन पंगु हो चुका था। भारती, स्थानांतरण, तैनाती में भ्रष्टाचार चरम पर था। परंतु 2017 में जब निजाम बदला तो जनता को सीएम के तौर पर एक संत मिले जो सत्य और न्याय के प्रति कटिबद्ध है। परिणाम सामने है, अब प्रशासन भयमुक्त है तो जनता का विश्वास बढ़ा है। प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त, दंगा मुक्त और भयमुक्त हो गया है।
ऐसी तमाम सच्चाइयां बयां करने वाले ख़ास लोग ही नहीं, गांव-देहातों, शहरों, गली-मोहल्लों, कॉलोनियों,खेत-खलिहानों और चौपालों में जाकर देख लीजिए, योगी गवर्नेस पर हर खास-ओ-आम की ऐसी ही राय है।
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