लखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर को उनके ड्राइविंग लाइसेंस के बारे में जब यह पता लगा कि उनका लाइसेंस फर्जी हैं तो वह हैरत में पड़ गयी। नूतन ने बीस वर्षों तक फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस पर वाहन चलाती रही और जब वह नवीनीकरण के लिए आरटीओ कार्यालय गयी तो उन्हें इसकी जानकारी हुई।
नूतन ने फर्जी लाइसेंस की जानकारी होने पर कहा कि उन्होंने अपना मूल ड्राइविंग लाइसेंस वर्ष 2002 में लखनऊ के आरटीओ में बनवाया था। उन्होंने 2006 में पूरे पृष्ठ पर निर्गत पुराने फॉर्मेट के लाइसेंस के स्थान पर आइडेंटिटी कार्ड के साइज़ के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आगरा कार्यालय में अपना पुराना लाइसेंस प्रस्तुत कर नए फॉर्मेट का लाइसेंस भी बनवा लिया था। अब उनके लाइसेंस के फर्जी होने का पता चला है तो इसके लिए वह ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले के खिलाफ मुकदमा लिखकर ठीक से विवेचना की मांग करती है।
उन्होंने कहा कि लाइसेंस नवीनीकरण कराने की प्रक्रिया को अपनाते हुए उन्हें ज्ञात हुआ कि यह लाइसेंस पुराने फॉर्मेट में है और उन्हें कंप्यूटर से नवीनीकरण के लिए इसका नया कम्प्यूटर कृत नंबर ज्ञात करना होगा। इस कार्य के लिए नूतन ने आगरा परिवहन कार्यालय से सम्पर्क किया, तभी ज्ञात हुआ कि उनका ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है। इस नम्बर से कोई दूसरा लाइसेंस भी दर्ज है। इसके लिए उन्होंने एसएसपी आगरा से मुकदमा लिखने की अपील की है।