नई दिल्ली। चीन में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे कई देशों को फायदा होने की उम्मीद बन गई है। चीन में इस बीमारी के संक्रमण के कारण कच्चे तेल की मांग में काफी कमी आई है, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल आज के कारोबार में करीब 4 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है।
चीन की ओर से कच्चे तेल की मांग में अचानक हुई कमी के कारण आज ब्रेंट क्रूड 4.47 डॉलर यानी करीब 4 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 107.9 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा है, वही डब्ल्यूटीआई क्रूड 4.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4.67 डॉलर मंदा होकर 105.10 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा है। संभावना जताई जा रही है कि अगर चीन में कोरोना के संक्रमण पर जल्द ही काबू नहीं पाया जा सका तो कच्चे तेल की कीमत आने वाले दिनों में और भी नीचे जा सकती है।
आपको बता दें कि चीन इन दिनों कोरोना संक्रमण से बुरी तरह से जूझ रहा है। इस जानलेवा बीमारी के संक्रमण की वजह से चीन के आधे से अधिक भूभाग में पूरा कामकाज ठप हो गया है। चीन के 46 शहरों में फिलहाल लॉकडाउन लगा हुआ है। इसी तरह देश के सबसे प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों में से एक शंघाई में भी स्कूल-कॉलेज और कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
कारोबारी गतिविधियां ठप पड़ जाने के कारण चीन में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग भी काफी कम हो गई है। इसका सीधा असर चीन के क्रूड ऑयल इंपोर्ट पर भी पड़ा है। चीन दुनिया के सबसे बड़े ऑयल इंपोर्टर देशों में से एक है। ऐसी स्थिति में चीन से कच्चे तेल की मांग में कमी होने का असर अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल मार्केट पर साफ नजर आने लगा है।
अभीतक मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना की बीमारी के कारण चीन में इस साल के शुरुआती 4 महीने के दौरान क्रूड ऑयल के इंपोर्ट में 4.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। लेकिन मई के शुरुआती 7 दिनों में ही इस बीमारी का संक्रमण तेज हो जाने के कारण चीन के ऑयल इंपोर्ट में करीब 30 प्रतिशत की कमी आ गई है। कच्चे तेल की मांग में आई इस कमी के कारण पिछले कुछ समय से, खासकर रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के बाद से ही लगातार तेज हो रही कच्चे तेल की कीमत में भी कमी आने की संभावना बन रही है।
हालांकि तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के प्रवक्ता जामनेई सियादुआ ने सोमवार को ही कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने के संकेत दिए हैं। इसका मतलब ये भी है कि अगर ओपेक की ओर से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की जाती है, तो चीन में कच्चे तेल की मांग घटने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत में ज्यादा कमी आने की संभावना नहीं बन सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2022 की शुरुआत से लेकर अभी तक ब्रेंट क्रूड और डब्लूटीआई क्रूड की कीमत में लगभग 35 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई है। इस तेजी की वजहों में एक प्रमुख वजह रूस और चीन के बीच जारी युद्ध है, तो दूसरी वजह ओपेक द्वारा सीमित मात्रा में कच्चे तेल का उत्पादन करना रहा है। ऐसे में अगर ओपेक के प्रवक्ता की ओर से दिए गए संकेत के मुताबिक आने वाले दिनों में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की जाती है, तो चीन के क्रूड ऑर्डर में आई कमी का फायदा दुनिया के अन्य देशों को नहीं मिल सकेगा। इसीलिए बाजार के जानकार कच्चे तेल की कीमत में आई 4 प्रतिशत की तेजी और चीन के क्रूड ऑयल इंपोर्ट में गिरावट के बावजूद तेल की कीमत को लेकर किसी भी तरह का आकलन करने से बच रहे हैं।