लखनऊ। परिवहन विभाग ने राजधानी लखनऊ में सोमवार से स्कूली वाहनों की सुरक्षा मानकों के आधार पर फिटनेस जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद 29 अप्रैल तक रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।
लखनऊ के संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) रामफेर द्विवेदी ने स्कूल वाहनों में 13 सुरक्षा मानकों की जांच करने के लिए दो-दो आरआई और एआरटीओ को जिम्मेदारी सौंपी है। इन अधिकारियों ने स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों की जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद 29 अप्रैल तक रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।
परिवहन विभाग के मुताबिक, 13 सुरक्षा मानकों में स्कूली वाहनों का शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना, स्कूल बसों की आयु 15 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस में फस्ट एड बॉक्स रखना अनिवार्य है। हर बस में स्पीड कंट्रोल डिवाइस लगा होना चाहिए। स्कूल बस की खिड़की पर जाली लगी होनी चाहिए। प्रेशर हार्न अथवा टोनल साउंट सिस्टम प्रतिबंधित रहेगा। हर बस में सीएनजी लीकेज नहीं होने का प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसके अलावा बस में सीटिंग क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक बच्चों को बस में नहीं बैठाया जाएगा। बस चालक का ड्राइविंग लाइसेंस कम से कम पांच साल पुराना होना चाहिए। स्कूल बस चालकों के बारे में पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए।
परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा। स्कूली वाहनों की जांच के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। फिलहाल स्कूली वाहनों के सुरक्षा मानकों की फिटनेस जांच शुरू हो गई है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।