हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने हिंदी के महत्व को बताते हुए कहा कि अंग्रेजी एक बीमारी है जिसे अंग्रेज जाते-जाते भारत में छोड़ गए हैं. दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने इस इस बात पर बल दिया कि हिंदी भारत में “सामाजिक-राजनीतिक और भाषाई एकता” का प्रतीक थी. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू और हंसराज अहीर तथा केन्द्रीय मंत्री रामदास आठवले भी मौजूद थे.
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्वीकार कर लिया था. उन्होंने पूछा क्या हम संविधान सभा की इच्छाओं को पूरी कर पाए. दिलचस्प बात यह है कि असेंबली ने एक ही बैठक में अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में भी अपनाया.
इस दौरान उन्होंने एक हैरान कर देने वाली बात भी बताई. उन्होंने कहा कि आपको जानकर हैरानी होगी कि कॉलेज के दिनों में मैं हिंदी विरोधी मुहिम का हिस्सा था. हिंदुस्तान में हिंदी के बिना आगे बढ़ पाना असंभव है.