बलिया। देश के बड़े-बड़े मंदिरों में पुजारी श्रद्धालुओं से पूजा कराई और पूजन सामग्री के पैसे मांगते हैं। जबकि बलिया में पौराणिक महत्व के बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी न तो पूजा की थाली के पैसे मांगते हैं और न ही बाबा का दर्शन कराई मांगते हैं। आस्थावान अपनी इच्छा से जो भी दे देते हैं, पुजारी सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
शहर के मध्य स्थित बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर पूर्वांचल के लोगों के आस्था का बड़ा केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि लच्छू और बिलर नाम के दो भाइयों ने शहर के दक्षिण से बहनेे वाली गंगा से बाबा का शिवलिंग प्राप्त कर वर्तमान मंदिर में स्थापित किया था। इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर के मुख्य गेट से लेकर बाबा के गर्भगृह तक पुजारी पूजन सामग्री सजा कर बैठे रहते हैं, जिसमें बेलपत्र, दूध, जल, दूब, चंदन आदि सामग्री रहती है। लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं और इन्हीं से पूजा की थाली लेकर बाबा को चढ़ाने के लिए आगे बढ़ते हैं। इस बीच पुजारी पैसे के लिए मुंह नहीं खोलते। श्रद्धालु बाबा का जलाभिषेक और पूजन करने के बाद जो भी दक्षिणा स्वरूप दे देते हैं, पुजारी बिना ना नुकुर किए रख लेते हैं। हालांकि दर्शन के उपरांत श्रद्धालु दिल खोलकर दक्षिणा देते हैं। जिससे पुजारी खुश नजर आते हैं। इस तरह की अनोखी परंपरा शायद ही किसी अन्य मंदिर में दिखती हो। देश के बहुत मंदिरों में तो पुजारी पहले ही मोटी रकम तय कर लेते हैं, तब दर्शन कराने को राजी होते हैं। ऐसे में बालेश्वरनाथ मंदिर की अनोखी परंपरा की चर्चा खूब होती है।
मंदिर प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अजय चौधरी बताते हैं कि श्रद्धालुओं से पहले पैसे न लेने की परम्परा काफी पुरानी है। मंदिर कमेटी भी इस पर नजर रखती है।
सावन में सोमवार को नहीं होगा दर्शन
बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर कमेटी के प्रबंधक अजय चौधरी ने बताया कि कोरोना को देखते हुए आम श्रद्धालुओं के लिए इस बार के सावन की किसी भी सोमवारी को दर्शन की अनुमति नहीं दी गई है। बाकी दिनों में भी कोरोना की गाइडलाइंस के अनुरुप ही दर्शन किया जा सकता है।