प्रत्येक महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का उपवास रखा जाता है। ये उपवास भोलेनाथ को समर्पित है तथा श्रेष्ठ व्रतों में से एक है। दिन के अनुसार प्रदोष व्रत की अहमियत भी अलग-अलग है। वैशाख मास की पहली त्रयोदशी तिथि शनिवार के दिन 8 मई को पड़ रही है। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शनि प्रदोष कहा जाएगा।
प्रथा है कि शनि प्रदोष का उपवास रखने से महादेव के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है तथा शनि संबन्धी समस्यां ख़त्म हो जाती हैं। प्रदोष व्रत का संबन्ध चंद्रदेव से भी माना जाता है। माना जाता है कि पहला प्रदोष व्रत चंद्रदेव ने क्षय रोग से मुक्ति के लिए रखा था।
त्रयोदशी तिथि शुरू: 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट तक
शनि प्रदोष का महत्व:-
प्रदोष व्रत को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति देने वाला व्रत माना जाता है। इसकी पूजा प्रदोष काल मतलब शाम को सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शनि प्रदोष का उपवास रखने से शनि प्रदोष व्रत रखने से भक्तों को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है तथा उसका आध्यात्मिक उत्थान होता है। इसके अतिरिक्त ये उपवास रखने से निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष के दिन काली दाल, काला कपड़ा, काला तिल आदि शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।