चिकित्सकों के सबसे बड़े संगठन इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने कोविड-19 की वैक्सीन को जन औषधि स्कीम के जरिये खुले बाजार में उपलब्ध कराने की मांग की है। ताकि यह आम जनता के लिए सस्ती पड़े। इस संगठन ने 18 साल से अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों को मुफ्त में वैक्सीन लगाने की भी सरकार से अपील की है। आइएमए ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके कहा कि वैक्सीन लगाने के इस विशालतम सामूहिक कार्यक्रम में 18 साल से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीन लगने की लागत से कहीं अधिक आर्थिक लाभ कोविड के ग्राफ को नीचे करने से होगा। इसलिए सिर्फ व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरे समुदाय की सुरक्षा के लिए हर्ड इन्यूनिटी का रास्ता खुल जाएगा।
संगठन ने वैक्सीन की कीमत में पारदर्शिता लाने की भी मांग करते हुए कहा कि चूंकि अब वैक्सीन निर्माताओं को इसकी कीमत तय करने की छूट मिल चुकी है इसलिए यह देखकर हैरानी होती है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने किस तरह से वैक्सीन की कीमत 600 रुपये बता दी है। संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वैक्सीन लगाने के अभियान को सस्ता और सुलभ बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि अगर वैक्सीन की कीमत पर कोई लगाम नहीं लगाई गई तो सरकार का सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम व्यर्थ हो जाएगा। अच्छे इरादे के बावजूद यह सरकार के लिए बड़ी मुसीबत होगा क्योंकि देश आर्थिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी मुश्किलों का सामना करता रहेगा।
टीके की एक कीमत पर केंद्र से कोई जवाब नहीं : टोपे
मुंबई। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन का सभी जगह एक दाम होने की राज्य सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार को सूचना दी है कि राज्य को कोविशील्ड वैक्सीन 24 मई के बाद ही मिल पाएगी। चूंकि केंद्र सरकार उस दिन तक के लिए संपूर्ण उत्पादन को बुक कर लिया है। टोपे ने पीएम मोदी के साथ हुई वर्चुअल बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सभी प्रमुख राज्यों ने वैक्सीन के एक राष्ट्र-एक दाम की मांग की है, लेकिन केंद्र सरकार से कोई पुख्ता जवाब नहीं मिला है। उन्होंने इजरायल और ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां टीकाकरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। अगर दाम कम हो जाएंगे तो हम ज्यादा वैक्सीन खरीद सकेंगे।