गाजीपुर। जनपद के पूर्व बहुचर्चित पुलिस इंस्पेक्टर प्रवीण यादव सहित कुल 11 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की शासन ने इजाजत दे दी है, लेकिन इस मामले को दबाए रखा गया था। पीड़ित पक्ष जनसूचना अधिकार के तहत तहकीकात की। तब पता चला कि राज्यपाल की ओर से इस आशय की चिट्ठी 12 फरवरी को ही प्रेषित कर दी गई थी। हालांकि प्रवीण यादव की तैनाती इन दिनों सुल्तानपुर जिले में बताई जा रही है। गौरतलब हो कि यह मामला वर्ष 2016 का है। जब प्रवीण यादव सुहवल थाने के इंचार्ज थे। आरोप है कि प्रवीण यादव 21 सितंबर 2016 को सदलबल जमानियां कोतवाली के किशुनपुर स्थित महिला शिक्षक सपना पांडेय के घर में घुसे और उन्हें जबरिया हिरासत में लेकर यूबीआई ब्रांच में ले गए। जहां उनके खाते से रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर करवाए। हालांकि सपना पांडेय वैसा करने से मना कर दी तो वह उनको अपने अंदाज में समझा दिए। अपने साथ हुए उस वाकये में सपना पांडेय आईजी वाराणसी के यहां 28 सितंबर 2016 को पहुंचकर तहरीर दी।
आईजी वाराणसी ने उसकी जांच कराई। उसमें प्रवीण यादव के अलावा तत्कालीन महिला थाना इंचार्ज सीमा सरोज सहित कुल छह पुलिस कर्मी और तत्कालीन यूबीआई ब्रांच मैनेजर वगैरह प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए। लिहाजा उनके विरुद्ध 2017 में आईपीसी की धारा जमानियां कोतवाली में 384, 342, 120बी व 506 के तहत अभियोग दर्ज हुआ।आईजी ने मामले की विवेचना की जिम्मेदारी सीओ जमानियां को देने और उसका पर्यवेक्षण करने के लिए तत्कालीन पुलिस कप्तान अरविंद सेन को आदेशित किया। बावजूद श्री सेन ने निष्पक्षता के नाम पर अपने वाचक को विवेचना सौंप दी। पीड़ित सपना पांडेय डीआईजी वाराणसी के यहां पहुंचकर विवेचना की निष्पक्षता पर संदेह जताईं।
डीआईजी ने 29 मई 2017 को केस को विवेचना के लिए जौनपुर स्थानांतरित कर दिया। जौनपुर में केराकत थाना इंचार्ज को विवेचना दी गई, लेकिन पीड़ित सपना पांडेय उससे संतुष्ट नहीं हुईं। तब विवेचना जौनपुर सीओ सीटी को दी गई। उन्होंने विवेचना कर अंतिम रिपोर्ट प्रेषित कर दी। उस अंतिम रिपोर्ट पर भी पीड़ित सपना पांडेय ने असंतोष जाहिर किया। उसके बाद छह जून 2018 को इसकी विवेचना एसपी ग्रामीण वाराणसी को दी गई। उन्होंने सीओ सीटी जौनपुर की अंतिम रिपोर्ट निरस्त करते हुए जमानियां कोतवाली में दर्ज एफआईआर में अंकित धाराओं को यथोचित बताया। उसके बाद मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के अपर पुलिस महानिदेशक (कार्मिक) राजकुमार ने मुख्यमंत्री के विशेष सचिव को चिट्ठी भेजकर प्रवीण यादव सहित सभी 11 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए अनुमति मांगी थी।