भारतीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से चलाई जा रही किसान रेल योजना का विस्तार किया जाएगा। क्षेत्रवार मांग के अनुसार, इनकी संख्या में वृद्धि की जाएगी। इसके साथ ही किराये में भी रियायत देने की बात चल रही है। आम बजट में घोषणा के बाद यह योजना किसानों के लिए काफी मुफीद साबित हो रही है। किसान रेल योजना की समीक्षा बैठक में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेंद्र तोमर ने योजना की कामयाब पहल पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि यह रेल योजना किसानों के लिए लाइफलाइन साबित होगी। इसका फायदा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को भी बराबर का मिलेगा। उसके लिए रियायती दरों पर कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ेगी।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि सात अगस्त, 2020 से चालू हुई किसान रेल योजना में अब तक कुल 455 फेरे लगाए जा चुके हैं। इनके माध्यम से पौने दो लाख टन ¨जस अथवा कृषि उत्पादों की ढुलाई की गई है। जिन क्षेत्रों से इस रेल की मांग आएगी वहां इसका विस्तार किया जाएगा।
बैठक में तोमर ने बताया कि किसानों को होने वाले फायदे के लिए चलाई जा रही इन मालगाडि़यों से उपभोक्ताओं की चाहत वाली ¨जस उचित मूल्यों पर उपलब्ध हो रही है। समीक्षा बैठक में इस पर भी विचार हुआ कि किसान रेल चलाने से पहले माल की ढुलाई के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन की कमियों को कैसे दूर किया जाए।
किसान रेल से होने वाली ढुलाई वाले कृषि उत्पादों को चिन्हित कर दिया गया है, जिसके भाड़े में 50 फीसद तक की रियायत दी जा रही है। यह रियायत का बोझ खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय उठाता है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा कि योजना की सफलता के लिए भारतीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों को इसकी नियमित निगरानी करनी चाहिए। ताकि किसानों के लिए इसे ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाया जा सके।