हिमालय दिवस पर दून में विभिन्न संगठनों ने हिमालय की सुरक्षा पर मंथन किया और इसके संभावित खतरों पर चर्चा करते हुए संरक्षण की राह भी सुझाई। रविवार को जोगीवाला चौक के पास स्थित एक स्कूल में उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से ‘हिमालय: चुनौतियां और समाधान’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र पैन्यूली ने कहा कि विश्व की जलवायु को बचाने वाला हिमालय आज स्वयं जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट से जूझ रहा है। जलवायु में अप्रत्याशित परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। वर्षा का चक्र गड़बड़ा गया है। ग्लेशियर लगातार पीछे खिसक रहे हैं और सैकड़ों ग्लेशियर झीलें टूटने के कगार पर आ गई हैं। उन्होंने कहा कि हिमालय के संरक्षण को इस पूरे क्षेत्र में जियो-कल्चरल प्लानिंग की आवश्यकता है। वहीं, शशि मोहन रावत ने अवैज्ञानिक तरीकों से किए जा रहे विकास कार्यों के चलते भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हिमालय बेहद संवेदनशील है और तमाम कार्यों में पारंपरिक तरीका अपनाने की भी जरूरत है। विचार गोष्ठी में नीरज पोखरियाल ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्वतारोहण से बढ़ते प्रदूषण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरा आज उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जगह-जगह पसर गया है। वहीं मानव दखल से ग्लेशियर भी प्रभावित हो रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पर्वतारोहण की स्पष्ट नीति बनाने की मांग की। नवीन आनंद ने हिमालयी राज्यों के बीच एक नेटवर्क स्थापित कर सूचनाओं के आदान-प्रदान व आपसी सहयोग से काम करने पर बल दिया।
अनूप नौटियाल ने जोर दिया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे की समस्या के समाधान को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया जाना चाहिए। गोष्ठी की अध्यक्ष करते हुए खाद्य निगम की सदस्य सचिव सुचिस्मिता सेनगुप्ता पांडेय ने स्वामी विवेकानंद का स्मरण करते हुए कहा कि उन्हों पांच बार हिमालयी क्षेत्रों में भ्रमण किया था और अपनी दूरदृष्टि से आज की आशंका को भांपते हुए तभी स्पष्ट कर दिया था कि यहां महिला शिक्षा, स्वावलंबन व स्वास्थ्य सुविधाओं की तरफ विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष प्रेम बड़ाकोटी, राम प्रकाश पैन्यूली, जयमल नेगी, डॉ. माधव मैठाणी, सीआर गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।
उत्तराखंड में पॉलीथिन पर लगेगी शत-प्रतिशत रोक
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी का संरक्षण हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। साथ ही उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पूरी तरह रोक प्रतिबंध लगवाना उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए मुख्यमंत्री से बात की जाएगी और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा जाएगा। परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में गंगा एक्शन परिवार, हैस्को और उत्तराखंड शासन की ओर से आयोजित हिमालय चिंतन-मंथन शिखर सम्मेलन में राज्यपाल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के संत एक मंच पर है, जाहिर है भारत का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
कहा कि हिमालय से निकलने वाली गंगा जल, विद्युत व सिंचाई के रूप में ही जीवन नहीं दे रही, वह मोक्ष का भी पर्याय है। इसलिए गंगा का संरक्षण हमारा मुख्य ध्येय होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें उत्तराखंड में आने के बाद पता चला कि भारत वास्तव में सोने की चिड़िया है। यहां जड़ी-बूटी और संपदा का अपार भंडार है। कहा कि उन्हें हिमालय की सेवा करने का अवसर मिला है और वह पूरे मनोयोग से इस जिम्मेदारी को निभाएंगी। उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति हिमालय की सेवा में जीवन के कुछ घंटे समर्पित करें।