भारत और अमेरिका ने जलवायु वित्त पोषण, हरित हाइड्रोजन एवं लचीले आधारभूत ढांचे के माध्यम से स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा के वर्ष 2030 के एजेंडे पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने डिजिटल माध्यम से साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जलवायु मुद्दे पर विशेष दूत जान केरी इस सप्ताह सोमवार को भारत आए।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अलावा वित्त मंत्री, वन एवं पर्यावरण मंत्री, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री से भी मुलाकात की। बागची ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत की भारत यात्रा जलवायु मुद्दे पर दुनिया के नेताओं की शिखर बैठक के संदर्भ में थी, जिसे डिजिटल माध्यम से आयोजित किया जाएगा। यह बैठक 22-23 अप्रैल 2021 को होनी है।
पीएम मोदी लेंगे हिस्सा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को जलवायु मुद्दे पर नेताओं की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया और प्रधानमंत्री इसमें हिस्सा लेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि केरी ने जलवायु मुद्दे पर कार्य को लेकर प्रधानमंत्री की दृष्टि और वैश्विक नेतृत्व की सराहना की, जिसमें खास तौर पर वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करना शामिल है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप सभी देशों की जलवायु कार्ययोजना का समर्थन करने की जरूरत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री और विशेष दूत केरी ने जलवायु वित्त पोषण, हरित हाइड्रोजन एवं लचीले आधारभूत ढांचा के मध्यम से स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा के साल 2030 के एजेंडे पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की। भारतीय पक्ष ने पेरिस समझौते के तहत प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
भारत के लिए ‘नेट-जीरो’ उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा आवश्यक नहीं : केरी
अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष जलवायु दूत जान केरी ने गुरुवार को कहा कि यदि भारत ‘नेट-जीरो’ उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा करता है तो यह एक बड़ा कदम होगा, लेकिन यह ‘परम आवश्यकता’ नहीं है क्योंकि देश वे सभी चीजें कर रहा है जो उसे करने की जरूरत है। ‘नेट-जीरो’ का अर्थ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और पर्यावरण से समान मात्रा में उत्सर्जन हटाने के बीच का संतुलन है। उन्होंने कहा कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की भारत की 450 गीगावाट की योजना के क्रियान्वयन के साथ वह उन कुछ देशों में से एक होगा जो वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के लिए ‘नेट-जीरो’ लक्ष्य की घोषणा करना व्यवहारिक होगा, केरी ने कहा, ‘हां, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मेरी बैठक में मेरा यह संदेश नहीं था। वह चुनौती को समझते हैं। यह बड़ी बात होगी यदि भारत यह कहना चाहे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह परम आवश्यकता है क्योंकि भारत सभी चीजें कर रहा है जो उसे करने की जरूरत है।’ केरी ने इसके साथ ही यहां भारतीय कारोबारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका को नए ऊर्जा बाजार की त्वरित तैनाती, उत्सर्जन में तेजी से कमी और तीव्र औद्योगिक परिवर्तन में भारत को अपने साझेदार के रूप में लेकर चलने की आवश्यकता है।