वाराणसी : जब भाजपा संप्रदायिक राजनीति और दो पूँजिपतियो के फायदे के लिए लोकतंत्र और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को लगातार तहस-नहस कर रही है।पैसे और केन्द्र की सत्ता के भय से हर राज्य में प्रतिनिधियो को खरीद रही या गैर भाजपा राज्यो की सत्ता पर अपरोक्ष रूप से कब्जा कर रही है।
जहाँ देश ही नही विदेशी संस्थाए,मीडिया तक लिख रहा है कि भारत वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के नायक होने की भूमिका से दूर हो चुका है क्योंकि वर्तमान सत्ता उसे निरंकुशवादी बना रही है।
आज समूचे विपक्ष को देशहित में देश का संवैधानिक ढांचा, लोकतंत्र,संस्थाए और सार्वजनिक उपक्रम बचाने के लिए एक मंच पर आना होगा।नहीं तो खात्मा सबका होगा क्योंकि जनता सिर्फ वोट देना जानती है लेकिन उसे भी नहीं पता कि हमारा वोट सुरक्षित है कि नहीं ?
इस देश के इतिहास में यदि गल्तियो का इतिहास लिखा जायेगा तो कांग्रेस से भी गलतियाँ हुई है जिसे समय समय पर कांग्रेस ने महसूस भी किया है। लेकिन तब भी देश तबाह नहीं हुआ था जिस तरह आज तबाही के रास्ते पर आर्थिक सामाजिक रूप से बढ़ चुका है।कांग्रेस से ही बङे बङे नेता चाहे शरद पवार हो ममता हो जगन रेड्डी हो निकले लेकिन ये फिर भी देश के संवैधानिक मजबूती के लिए साथ आ सकते है।क्योंकि इनका भी वोटबैंक कहीं न कहीं सेक्युलर सोच के साथ है न कि सांप्रदायिकता की सोच के साथ।
इसलिए आज देशहित में एक समान सोच,विचार के विपक्षी दलो को साथ आना पङेगा जहाँ कांग्रेस को एक बङे भाई के रूप में आगे आना पङेगा। देश के लोकतंत्र और संवैधानिक हित में कुछ त्याग से परिवार रूप लोकतांत्रिक भारत में कांग्रेस को देश का अगुआ बना देगा,जो देश का बहुमत भी चाहता है।
नवाज देवबंदी की लाईने ठीक ही बैठती है……
” जलते घर को देखने वालो फूंस का छप्पर आपका है,
आपके पीछे तेज हवा है आगे मुकद्दर आपका है ,
उसके कत्ल पर मै भी चुप था मेरा नंबर अब आया है,
मेरे कत्ल पर आप चुप हो अगला नबंर आपका है…..,”