घरेलू और वैश्विक बाजारों में मखाना की मांग में भारी इजाफा हुआ है, जिससे पिछले तीन सालों में इसकी विकास दर 40 फीसद तक पहुंच गई है। भारत के अलावा चीन, जापान और थाइलैंड में मखाना की जबर्दस्त मांग है। राज्यसभा में शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र तोमर बताया कि मखाना और उससे तैयार उत्पादों की चौतरफा मांग निकल रही है। पिछले तीन वर्षो के दौरान इसमें भारी वृद्धि हुई है।
एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के आंकड़ों का हवाला देते हुए तोमर ने बताया कि मूल्यवर्धित मखाना उत्पादों की मांग में लगातार वृद्धि हुई है। हालांकि, मखाना के निर्यात के लिए अलग से छह अंकों का हार्मोनाइज्ड सिस्टम कोड जारी नहीं किया गया है। इसी वजह से इसके आयात अथवा निर्यात के बारे में अलग से कोई आंकड़ा नहीं है। हालांकि, मखाना की मांग और लोकप्रियता को देखते हुए इस दिशा में पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
तोमर ने बताया है कि मखाना और उसके उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने बिहार के छह जिलों को चिह्नित किया है, जहां मखाने की खेती होती है। इनमें अररिया, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी, सहरसा और सुपौल प्रमुख हैं। इन जिलों को वन डिस्टि्रक्ट वन प्रॉडक्ट (ओडीओपी) स्कीम में शामिल कर विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। एपीडा मखाना के निर्यात के लिए बॉयर-सेल मीट्स का आयोजन करता है। इसमें बताया जाता है कि मखाना स्वास्थ्य के लिए कितना लाभप्रद है। इसमें जबर्दस्त पोषक तत्व होते हैं।
बिहार के दरभंगा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन स्थापित किया है। इस शोध स्टेशन ने हाल ही में मखाना की उन्नत प्रजाति की ‘स्वर्ण वैदेही’ प्रजाति जारी की है। तोमर ने बताया कि मखाना की खेती के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी विकसित की गई है। इसमें मखाना आधारित इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम भी तैयार किया गया है।