नई दिल्ली : ”वैक्सीन मैत्री”। दुनिया को निरोगी बनाने का भारत द्वारा शुरू किया गया एक अभियान जिसका कई देश आज मुक्त कंठ से तमाम बड़े वैश्विक मंचों से सराहना कर रहे हैं। 20 जनवरी 2021 को शुरू किए गए इस महत्वपूर्ण अभियान को आज दो महीने पूरे हो चुके हैं। संसद के दोनों सदनों में कहे गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर के शब्दों में कहा जाए तो इन दो महीनों में भारत ‘दुनिया की फार्मेसी’ बनकर उभरा है, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के विजन में लोगों का विश्वास जगाया है। उन्होंने आगे कहा कि ”इस पहल से विदेशों में हमारे राजदूत आम लोगों में भारत के लिए गर्मजोशी महसूस कर रहे हैं।” आंकड़े विदेश मंत्री की इन बातों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही इस बात की भी पुष्टि कर रहे हैं कि आपदा को अवसर बदलने वाली मोदी सरकार का यह कदम मैत्री का संदेश देने के साथ ही दुनिया के समक्ष आत्मनिर्भर एवं समर्थ भारत की पहचान बन रहा है।
नए साल के शुरू होने के साथ ही तीसरे सप्ताह भारत ने मालदीव और भूटान को कोरोना रोधी वैक्सीन भेजकर ”वैक्सीन मैत्री” अभियान की शुरुआत की। तब से अब तक भारत विश्व के 73 देशों को कोरोना रोधी वैक्सीन का 596.59 लाख टीका दे चुका है, जिसमें 37 देशों को 81.25 लाख वैक्सीन दान में दिया गया है। वहीं 24 देशों को 341.67 लाख वैक्सीन कमर्शियल सप्लाई के तहत दी गई है, जिनमें 18 वो देश शामिल हैं जिन्हें भारत ने दान में भी वैक्सीन दी है। इसके साथ ही कमर्शियल सप्लाई के तहत ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के हेल्थ वर्करों के लिए 1 लाख टीका भेजा है। यही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैयार बनाए गए विभिन्न देशों के समूह ”ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी” यानी ”कोवैक्स” के तहत भारत 173.67 लाख वैक्सीन 35 देशों को भेज चुका है, जिसमें 19 नए देश (जिन्हें दान या कमर्शियल वैक्सीन नहीं मिली है) शामिल हैं, जिन्हें कोवैक्स के जरिए मेड इन इंडिया की वैक्सीन प्राप्त हुई है।
क्वाड में एक अरब टीका उत्पादन का हुआ समझौता
क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी क्वाड के राष्ट्राध्यक्षों का पहला वर्चुअल शिखर सम्मेलन 12 मार्च को संपन्न हुआ। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मारिसन और अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक मेगा वैक्सीन ड्राइव शुरू करने का निर्णय लिया। इसके तहत अमेरिका और जापान भारतीय दवा निर्माता बायोलॉजिकल-ई को साल 2022 के आखिर तक एक अरब कोविड-19 टीकों का उत्पादन करने के लिए आर्थिक सहायता देंगे। इस वैक्सीन की सप्लाई हिंद-प्रशांत क्षेत्र में की जाएगी। यह समझौता यह बताता है कि भारत के उत्पादन क्षमता पर दुनिया का विश्वास बढ़ा है।
चीन की टीका डिप्लोमेसी को मात दे रही वैक्सीन मैत्री
भारत का ”वैक्सीन मैत्री” अभियान चीन की टीका कूटनीति पर भारी पड़ रहा है। कोरोना के जनक देश की वैक्सीन साइनोवैक कारगरता के मामले में दोयम दर्जे की है, जिसके कारण कई देश उसे लेने से मना कर चुके हैं। कोरोना के शुरुआती दौर में मास्क डिप्लोमेसी के जरिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को साधने के प्रयास में विफल हुए चीन ने वैक्सीन के जरिए अपनी इमेज को सुधारने का प्रयास किया, जो अब बिखरता नजर आ रहा है। इसको इन उदाहरणों से समझा जा सकता है कि वैक्सीन सप्लाई को लेकर चीन और बांग्लादेश के बीच समझौता हो रहा था, जिसमें चीन ने शर्त रखते हुए वैक्सीन के परीक्षण का खर्च मांग लिया। जिस पर बांग्लादेश ने शर्त मानने से इनकार करते हुए सौदा रद्द कर दिया। भारत द्वारा नेपाल को वैक्सीन दान में देने के बाद वहां बदला राजनीतिक परिदृश्य भी ”वैक्सीन मैत्री” की सफलता की गवाही दे रहा है। नेपाल में ड्रग रेगुलेटर ने अभी तक चीनी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। वहीं चीन के करीबी देश कंबोडिया ने भी भारत से वैक्सीन देने का आग्रह किया है।
घरेलू जरूरतों को भी पूरा कर रहा है भारत
वैश्विक महामारी से जारी इस जंग में भारत दुनिया की मदद करने के साथ ही अपनी घरेलू आवश्यकताओं को भी पूरा कर रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान यहीं चल रहा है। आज भारत विश्व में सबसे ज्यादा टीकाकरण करने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जिसने 11 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन किया है। साढ़े छह करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन करने के साथ चीन दूसरे नंबर पर है। वहीं 16 जनवरी 2021 से टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने वाला भारत 4 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण कर तीसरे नंबर पर है। आज भारत में प्रतिदिन 30 लाख से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है, यह संख्या लगातार बढ़ भी रही है।